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Meaning, Concept, Nature and Scope of Civics in Current Trends नागरिक शास्त्र का अर्थ, अवधारणा, स्वरूप एवं वर्तमान प्रवृत्तियों में क्षेत्र

प्रस्तावना (Introduction) नागरिक शास्त्र अध्ययन का ऐसा क्षेत्र है जिसका सीधा संबंध लोकतांत्रिक समाजों के विकास से रहा है। यह केवल शासन और संविधान से संबंधित जानकारी प्रदान करने वाला विषय ही नहीं है, बल्कि यह व्यक्तियों में मूल्य, दृष्टिकोण और जिम्मेदारी की भावना भी विकसित करता है। समकालीन समय में जब विश्व सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और पर्यावरणीय परिवर्तनों का सामना कर रहा है, नागरिक शास्त्र का महत्व और भी अधिक बढ़ गया है। इसके अध्ययन के माध्यम से व्यक्ति यह सीखते हैं कि राज्य से किस प्रकार संबंध स्थापित करें, शासन-प्रक्रिया में भाग लें, विविधता का सम्मान करें और न्याय की रक्षा करें। इस प्रकार नागरिक शास्त्र को सही मायनों में ऐसे विषय के रूप में देखा जा सकता है जो जिम्मेदार और प्रबुद्ध नागरिक तैयार करने की आधारशिला है, जो राष्ट्र के विकास और वैश्विक शांति में सक्रिय योगदान दे सकते हैं। नागरिक शास्त्र का अर्थ (Meaning of Civics) ‘Civics’ शब्द लैटिन भाषा के शब्द civicus से बना है, जिसका अर्थ है – “नागरिक से संबंधित।” परंपरागत रूप से इसका अर्थ नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों का राज्य तथा ...

Knowledge - Definition, its genesis and general growth from the remote past to 21st Century. ज्ञान - परिभाषा, उत्पत्ति और प्राचीन काल से लेकर 21वीं सदी तक इसका सामान्य विकास

✦ ज्ञान की परिभाषा (Definition of Knowledge) ज्ञान (Knowledge) मनुष्य के मानसिक एवं बौद्धिक विकास की वह सर्वोच्च अवस्था है , जिसके माध्यम से वह किसी वस्तु , व्यक्ति , घटना अथवा सार्वभौमिक सत्य की वास्तविकता को पहचानने , समझने , विश्लेषण करने और विवेचित करने की क्षमता प्राप्त करता है। यह केवल तथ्यों या सूचनाओं (Information) का साधारण संग्रह मात्र नहीं है , बल्कि उन सूचनाओं का अनुभवजन्य परीक्षण , तार्किक विश्लेषण , विवेकपूर्ण उपयोग और सत्य के साथ सामंजस्य स्थापित करने की प्रक्रिया है। भारतीय दार्शनिक दृष्टिकोण में ज्ञान को अत्यंत व्यापक और गहन स्वरूप में देखा गया है। यहाँ ज्ञान केवल बाहरी इंद्रिय अनुभवों तक सीमित नहीं है , बल्कि यह आत्मानुभूति , आत्मबोध और परम सत्य की प्रत्यक्ष अनुभूति तक विस्तृत है। उपनिषदों ने ज्ञान को " ब्रह्मविद्या " की संज्ञा दी है , जिसका उद्देश्य आत्मा और परमात्मा के शाश्वत संबंध का उद्घाटन करना है। इसी कारण भारतीय परंपरा में ...