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प्रस्तावना (Introduction) आधुनिक शिक्षा व्यवस्था में पाठ्यचर्या को अब केवल विषयवस्तु की सूची नहीं माना जाता, बल्कि उसे एक सक्रिय, सामाजिक और रचनात्मक प्रक्रिया के रूप में देखा जाता है। पहले यह समझा जाता था कि ज्ञान बाहर से विद्यार्थी के मन में डाला जाता है, परंतु अब यह स्वीकृत हो चुका है कि ज्ञान का निर्माण विद्यार्थी स्वयं अपने अनुभवों, सामाजिक संवाद और परिवेश के माध्यम से करता है। इसी धारणा पर आधारित शैक्षिक विचारधारा को सामाजिक संरचनावाद (Social Constructivism) कहा जाता है। यह दृष्टिकोण यह मानता है कि सीखना केवल एक मानसिक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह समाज, संस्कृति, भाषा, परंपराओं और पारस्परिक संबंधों से गहराई से जुड़ा हुआ है। पाठ्यचर्या का सामाजिक संरचनावादी दृष्टिकोण विद्यार्थी को निष्क्रिय श्रोता नहीं, बल्कि एक सचेत, विचारशील और सामाजिक प्राणी के रूप में विकसित करने पर बल देता है। सामाजिक संरचनावाद का अर्थ (Meaning of Social Constructivism) सामाजिक संरचनावाद वह सिद्धांत है, जिसके अनुसार ज्ञान व्यक्तिगत स्तर पर नहीं, बल्कि सामाजिक अंतःक्रियाओं के माध्यम से निर्मित होता है। इस दृष्ट...