सामाजिक अनुबंध सिद्धांत: राजनीतिक दर्शन की एक महत्वपूर्ण नींव राजनीतिक दर्शन में सामाजिक अनुबंध सिद्धांत एक अत्यंत महत्वपूर्ण विचारधारा है, जो राज्य की उत्पत्ति और उसकी वैधता को समझाने का प्रयास करता है। यह सिद्धांत यह मानता है कि राज्य और समाज के बीच एक ‘समझौता’ होता है, जिसके माध्यम से नागरिक अपनी सुरक्षा, अधिकारों की रक्षा और सामाजिक व्यवस्था के लिए एक शासक या सरकार को अधिकार सौंपते हैं। इस सिद्धांत के विचारक थॉमस हॉब्स, जॉन लॉक और जीन-जैक्स रूसो के विचारों ने लोकतांत्रिक शासन प्रणालियों और नागरिक अधिकारों के विकास में अहम भूमिका निभाई है। आइए, जानते हैं सामाजिक अनुबंध सिद्धांत के मूल विचारों, इसके प्रमुख दार्शनिकों के दृष्टिकोण और इसके प्रभाव और आलोचनाओं के बारे में। सामाजिक अनुबंध सिद्धांत के मुख्य विचार सामाजिक अनुबंध सिद्धांत यह मानता है कि एक व्यक्ति समाज में शांति, सुरक्षा और व्यवस्था बनाए रखने के लिए अपनी कुछ व्यक्तिगत स्वतंत्रताओं का त्याग करता है, और इसके बदले में राज्य उन्हें सुरक्षा और मौलिक अधिकार प्रदान करता है। यह सिद्धांत मानव स्वभाव और राज्य की भूमिका पर गहरे सवाल उठ...
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