परिचय (Introduction):
संयुक्त राष्ट्र (UN) विश्वभर में मानवाधिकारों की रक्षा और संवर्धन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 1945 में अपनी स्थापना के बाद से, संयुक्त राष्ट्र ने सभी व्यक्तियों के लिए समानता, स्वतंत्रता और गरिमा के सिद्धांतों का लगातार समर्थन किया है, चाहे वह जाति, लिंग, राष्ट्रीयता या धर्म से किसी भी रूप में संबंधित हों। यह समझते हुए कि मानवाधिकार वैश्विक शांति और प्रगति के लिए आधारभूत हैं, संयुक्त राष्ट्र ने उनकी सुरक्षा के लिए विभिन्न तंत्र और संस्थाएँ स्थापित की हैं। अपनी विशेष एजेंसियों, संधियों और निगरानी निकायों के माध्यम से, यह भेदभाव को रोकने, अन्याय से लडने और उल्लंघनकर्ताओं को जवाबदेह ठहराने के लिए काम करता है। अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने और ऐसी नीतियों का समर्थन करते हुए जो व्यक्तियों और समुदायों को सशक्त बनाती हैं, संयुक्त राष्ट्र एक अधिक न्यायपूर्ण और समान विश्व के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
संयुक्त राष्ट्र का दृष्टिकोण इस तथ्य पर आधारित है कि यह मानवाधिकारों की निगरानी और रिपोर्टिंग में एक प्रमुख भूमिका निभाता है, जिसे विभिन्न देशों में मानवाधिकार स्थितियों का मूल्यांकन करने के लिए मानवाधिकार परिषद और अन्य संधि निकायों द्वारा किया जाता है। इन संस्थाओं द्वारा देशों की अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों के प्रति प्रतिबद्धता की जाँच की जाती है और जहां उल्लंघन पाए जाते हैं, वहाँ सुधार की सिफारिश की जाती है। संयुक्त राष्ट्र सरकारों को तकनीकी सहायता और क्षमता निर्माण समर्थन भी प्रदान करता है, जिससे वे अपने स्वयं के मानवाधिकार ढांचे और संस्थाओं को मजबूत कर सकें।
इसके अतिरिक्त, संयुक्त राष्ट्र ने एक समावेशी वातावरण बनाने के लिए काम किया है, जहाँ सभी पृष्ठभूमियों और क्षेत्रों के लोग मानवाधिकारों पर चर्चा में भाग ले सकते हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि हाशिए पर और कमजोर समूहों की आवाज़ सुनी जाए। मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा जैसे दिशानिर्देशों और मानदंडों को स्थापित करने में संयुक्त राष्ट्र का काम देशों को अपने घरेलू नीतियों को सार्वभौमिक मानवाधिकार मानकों के साथ संरेखित करने के लिए प्रेरित करता है। सामूहिक प्रयासों और गैर सरकारी संगठनों, नागरिक समाज और निजी क्षेत्र के साथ सहयोग के माध्यम से, संयुक्त राष्ट्र एक ऐसा वातावरण बनाने के लिए काम कर रहा है, जहाँ प्रत्येक व्यक्ति के अधिकारों का सम्मान किया जाए, और मानवता समग्र रूप से अधिक समानता और न्याय की दिशा में प्रगति करे।
मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा (UDHR)
The Universal Declaration of Human Rights (UDHR):
संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकारों के क्षेत्र में सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक है मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा (UDHR) को 10 दिसंबर, 1948 को अपनाना। यह ऐतिहासिक दस्तावेज मानवता के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ, जो सभी व्यक्तियों को गारंटी दिए जाने वाले मौलिक अधिकारों और स्वतंत्रताओं को स्पष्ट रूप से रेखांकित करता है। UDHR ने वैश्विक स्तर पर मानव गरिमा और समानता की पहचान को एक नई दिशा दी। इसका अपनाया जाना न केवल एक ऐतिहासिक उपलब्धि था, बल्कि यह अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की सामूहिक इच्छा का एक प्रतीक था कि सभी मानव beings के अधिकारों की रक्षा की जाए।
UDHR अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानून का आधार बन चुका है और इसने विश्वभर में संधियों, सम्मेलनों और राष्ट्रीय संविधानों के विकास पर गहरा प्रभाव डाला है। यह अधिकारों के एक विस्तृत वर्ग को प्रस्तुत करता है, जैसे कि जीवन, स्वतंत्रता और सुरक्षा का अधिकार, अभिव्यक्ति और सभा की स्वतंत्रता, काम करने और शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार, और यातना और दासता से सुरक्षा। ये अधिकार मानव गरिमा की रक्षा और शांति, न्याय और सामाजिक प्रगति को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक माने जाते हैं।
कई दशकों से, UDHR एक सार्वभौमिक रूप से स्वीकार्य मानक बन चुका है, जिसने देशों, संगठनों और व्यक्तियों को हर स्तर पर मानवाधिकारों की रक्षा के लिए प्रेरित किया है। इस दस्तावेज़ ने संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के तहत विभिन्न मानवाधिकार निकायों की स्थापना में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जो घोषणा में उल्लिखित अधिकारों के पालन की निगरानी करने और सुनिश्चित करने के लिए काम करते हैं। इसके अलावा, UDHR ने मानवाधिकारों के विकसित होते स्वरूप और सभी लोगों के लिए इन अधिकारों को सुरक्षित करने में निरंतर प्रगति की आवश्यकता पर चल रही बातचीत को प्रेरित किया है। अपनी निरंतर प्रभावशीलता के माध्यम से, UDHR न्याय, समानता और मानव गरिमा की वैश्विक लड़ाई में एक मजबूत आधार बना हुआ है। इसमें ऐसे अधिकार शामिल हैं:
जीवन, स्वतंत्रता और सुरक्षा का अधिकार।
बोलने, अभिव्यक्त करने और विश्वास रखने की स्वतंत्रता।
यातना और अमानवीय व्यवहार से सुरक्षा।
शिक्षा, काम और समान अवसरों का अधिकार।
संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख मानवाधिकार निकाय (Key UN Human Rights Bodies):
संयुक्त राष्ट्र ने वैश्विक स्तर पर मानवाधिकारों की निगरानी और प्रोत्साहन के लिए कई निकायों और तंत्रों की स्थापना की है। इनमें से कुछ प्रमुख संस्थाएँ शामिल हैं:
1. मानवाधिकारों के लिए उच्चायुक्त का कार्यालय (OHCHR)
Office of the High Commissioner for Human Rights (OHCHR):
मानवाधिकारों के लिए उच्चायुक्त का कार्यालय संयुक्त राष्ट्र का एक प्रमुख निकाय है, जो मानवाधिकार नीतियों को लागू करने की निगरानी करता है और देशों को मानवाधिकारों की रक्षा करने में समर्थन प्रदान करता है। यह कार्यालय अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों को बढ़ावा देने, उल्लंघन की रिपोर्ट करने, और मानवाधिकारों के क्षेत्र में सुधार के लिए कार्य करता है। यह विभिन्न देशों के साथ मिलकर उनकी नीतियों और कानूनों में मानवाधिकारों को शामिल करने में मदद करता है और साथ ही यह उन राज्यों के लिए तकनीकी सहायता प्रदान करता है जो मानवाधिकारों के उल्लंघन को रोकने के लिए ठोस कदम उठाना चाहते हैं। OHCHR का उद्देश्य वैश्विक स्तर पर मानवाधिकारों को सुनिश्चित करना और उन लोगों की मदद करना है जो किसी न किसी रूप में मानवाधिकारों का उल्लंघन झेल रहे हैं।
2. मानवाधिकार परिषद (HRC)
Human Rights Council (HRC):
मानवाधिकार परिषद, जो 47 सदस्य राज्यों से मिलकर बनी है, मानवाधिकारों के उल्लंघन के मामलों पर ध्यान केंद्रित करती है और उन स्थितियों में सुधार के लिए सिफारिशें करती है। यह परिषद हर साल विभिन्न देशों की मानवाधिकार स्थिति की समीक्षा करती है और उन देशों को सलाह और मार्गदर्शन देती है ताकि वे अपने मानवाधिकार मानकों को बेहतर बना सकें। HRC ने सार्वभौमिक आवधिक समीक्षा (UPR) जैसी पहल की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य प्रत्येक सदस्य देश की मानवाधिकारों के प्रति प्रतिबद्धता की जांच करना और उन देशों को सुधारात्मक उपायों को लागू करने के लिए प्रेरित करना है। यह परिषद संयुक्त राष्ट्र महासभा और सुरक्षा परिषद को मानवाधिकारों से संबंधित मुद्दों पर अपने विचार और रिपोर्ट प्रस्तुत करती है, जिससे अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में मानवाधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ती है।
3. अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) और अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC)
International Court of Justice (ICJ) and International Criminal Court (ICC):
अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) और अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) दोनों महत्वपूर्ण न्यायिक निकाय हैं, जो अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानूनों के उल्लंघन के मामलों में न्याय प्रदान करते हैं। ICJ देशों के बीच विवादों को सुलझाता है और राज्य के स्तर पर अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानूनों के उल्लंघन की जाँच करता है, जबकि ICC विशेष रूप से युद्ध अपराधों, मानवता के खिलाफ अपराधों और जातीय नरसंहार के मामलों की सुनवाई करता है। ICC यह सुनिश्चित करता है कि उन व्यक्तियों को जवाबदेह ठहराया जाए जो मानवाधिकारों का उल्लंघन करते हैं, विशेष रूप से जब राष्ट्रीय अदालतें इस तरह के अपराधों के लिए मुकदमा नहीं चलाती हैं। ये दोनों न्यायालय मानवाधिकारों की सुरक्षा में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर न्याय और जवाबदेही सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
4. संयुक्त राष्ट्र संधि निकाय (UN Treaty Bodies):
संयुक्त राष्ट्र संधि निकाय मानवाधिकार संधियों के पालन की निगरानी करते हैं, जैसे कि बाल अधिकारों पर कन्वेंशन (CRC) और महिलाओं के खिलाफ भेदभाव उन्मूलन पर कन्वेंशन (CEDAW)। ये निकाय देशों के प्रति अपनी सिफारिशें और टिप्पणियाँ प्रस्तुत करते हैं, ताकि वे अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संधियों के अनुसार अपने कानूनों और नीतियों को सुधार सकें। इन निकायों द्वारा प्रदान की गई निगरानी और मार्गदर्शन देशों को अपने मानवाधिकार रिकॉर्ड को सुधारने और उन सुधारों के लिए काम करने में मदद करता है। संधि निकाय यह सुनिश्चित करने के लिए काम करते हैं कि सभी देशों द्वारा इन महत्वपूर्ण संधियों का पालन किया जाए और मानवाधिकारों को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं। इन निकायों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि मानवाधिकारों की सार्वभौमिकता को बनाए रखा जाए और कोई भी देश इन अधिकारों के उल्लंघन के लिए जिम्मेदार न हो।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार पहल और कार्यक्रम (UN Human Rights Initiatives and Programs):
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उल्लंघनों का समाधान करने और वैश्विक परिस्थितियों में सुधार लाने के लिए विभिन्न पहलों में सक्रिय रूप से संलग्न रहता है। इनमें से कुछ कार्यक्रम शामिल हैं:
टिकाऊ विकास लक्ष्य (SDGs):
Sustainable Development Goals (SDGs):
संयुक्त राष्ट्र ने 2030 तक वैश्विक विकास और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए 17 टिकाऊ विकास लक्ष्य (SDGs) निर्धारित किए हैं। इनमें से कई लक्ष्य मानवाधिकारों पर केंद्रित हैं, जैसे कि लैंगिक समानता, असमानताओं को कम करना, और न्याय की स्थापना। SDGs में यह सुनिश्चित करना भी शामिल है कि सभी व्यक्तियों को समान अवसर मिले, चाहे उनकी जाति, लिंग, या सामाजिक स्थिति कुछ भी हो। इन लक्ष्यों में शारीरिक, मानसिक, और सामाजिक कल्याण को बढ़ावा देना, पर्यावरण की रक्षा करना, और सभी देशों को समान रूप से विकास में भागीदार बनाना शामिल है। SDGs को हासिल करने से न केवल वैश्विक शांति और स्थिरता बढ़ेगी, बल्कि यह सभी मानवाधिकारों को संरक्षित करने और सशक्त बनाने में भी मदद करेगा।
सार्वभौमिक आवधिक समीक्षा (UPR):
Universal Periodic Review (UPR):
सार्वभौमिक आवधिक समीक्षा (UPR) एक महत्वपूर्ण तंत्र है जिसे संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद द्वारा स्थापित किया गया है। इसका उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों के मानवाधिकार रिकॉर्ड का मूल्यांकन करना और सुधार के लिए सुझाव देना है। UPR प्रक्रिया प्रत्येक सदस्य देश के लिए एक नियमित समीक्षा प्रदान करती है, जिसमें उन्हें अपनी मानवाधिकार नीति और प्रथाओं पर रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होती है। इस प्रक्रिया के दौरान, सभी सदस्य देश और विभिन्न हितधारक देशों के मानवाधिकार रुझानों और चुनौतियों पर चर्चा करते हैं, जिससे उन्हें मानवाधिकारों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को मजबूत करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। UPR के माध्यम से, देशों को उनकी मानवाधिकारों की स्थिति के बारे में पारदर्शिता रखने और सुधारात्मक कदम उठाने के लिए प्रेरित किया जाता है।
मानवीय सहायता और शरणार्थी संरक्षण (Humanitarian Assistance and Refugee Protection):
संयुक्त राष्ट्र विभिन्न एजेंसियों के माध्यम से मानवीय सहायता और शरणार्थी संरक्षण के कार्यों को बढ़ावा देता है। विशेष रूप से, संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (UNHCR) को शरणार्थियों और आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा करने और उन्हें आवश्यक सहायता प्रदान करने का जिम्मा सौंपा गया है। यह एजेंसी दुनिया भर में संघर्षों, प्राकृतिक आपदाओं, और अन्य संकटों से प्रभावित लोगों को आश्रय, भोजन, चिकित्सा सहायता, और सुरक्षा प्रदान करती है। शरणार्थियों और विस्थापित व्यक्तियों के लिए जीवन की बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करना, उनकी सुरक्षा को सुनिश्चित करना और उनके लिए स्थिरता की दिशा में काम करना UNHCR का प्राथमिक उद्देश्य है। इसके अलावा, संयुक्त राष्ट्र अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर मानवीय संकटों से प्रभावित समुदायों की दीर्घकालिक पुनर्निर्माण और विकास प्रक्रिया में सहायता प्रदान करता है।
भेदभाव और हिंसा के खिलाफ अभियान (Campaigns Against Discrimination and Violence):
संयुक्त राष्ट्र ने भेदभाव, हिंसा और मानवाधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ कई महत्वपूर्ण अभियानों की शुरुआत की है। इनमें से प्रमुख अभियानों में नस्लवाद, बाल श्रम, महिलाओं के खिलाफ हिंसा, और लिंग आधारित भेदभाव के खिलाफ संघर्ष शामिल हैं। इन अभियानों के माध्यम से, संयुक्त राष्ट्र यह सुनिश्चित करने का प्रयास करता है कि सभी व्यक्तियों को उनके अधिकार मिले, चाहे वह किसी भी जाति, धर्म, लिंग, या सामाजिक स्थिति से संबंधित हों। इन अभियानों में जागरूकता पैदा करना, नीतिगत सुधारों को प्रोत्साहित करना, और प्रभावित समुदायों को सशक्त बनाना शामिल है। संयुक्त राष्ट्र यह मानता है कि जब तक हर व्यक्ति के अधिकारों की रक्षा नहीं होती, तब तक सच्ची शांति और विकास संभव नहीं है। इस दृष्टिकोण से, संयुक्त राष्ट्र भेदभाव और हिंसा के खिलाफ सख्त कदम उठाने की दिशा में काम कर रहा है।
चुनौतियाँ और भविष्य की संभावनाएँ (Challenges and Future Prospects):
संयुक्त राष्ट्र (UN) ने मानवाधिकारों को बढ़ावा देने और उन्हें वैश्विक स्तर पर सम्मानित करने के लिए कई प्रयास किए हैं, लेकिन इसके बावजूद कई महत्वपूर्ण चुनौतियाँ उत्पन्न हो रही हैं। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक संघर्ष अक्सर मानवाधिकारों के लक्ष्यों को प्राप्त करने में कठिनाइयाँ उत्पन्न करते हैं। ये संघर्ष देशों के बीच मतभेद पैदा करते हैं, जिससे महत्वपूर्ण मानवाधिकार मुद्दों पर सहमति प्राप्त करना और प्रस्तावों को प्रभावी ढंग से लागू करना मुश्किल हो जाता है। इसके अतिरिक्त, प्रभावी कार्यान्वयन तंत्र की कमी अक्सर मानवाधिकारों के उल्लंघन करने वालों को बिना सजा के छोड़ देती है, जिससे कई हिस्सों में उल्लंघन होते रहते हैं। कुछ देशों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार प्रयासों में सहयोग की कमी इन चुनौतियों को और बढ़ा देती है, क्योंकि राजनीतिक, आर्थिक या वैचारिक हित कभी-कभी मानवाधिकारों की रक्षा से ऊपर हो जाते हैं।
फिर भी, संयुक्त राष्ट्र अपने मिशन में दृढ़ है और लगातार इन चुनौतियों से निपटने के लिए खुद को अनुकूलित कर रहा है। यह मानवाधिकार उल्लंघनों को हल करने के लिए कूटनीतिक रणनीतियों, कानूनी ढाँचों और वैश्विक साझेदारियों का उपयोग करता है, भले ही इसका सामना विरोध का हो। संयुक्त राष्ट्र बहुपक्षीय कूटनीति के माध्यम से देशों के बीच संवाद को बढ़ावा देता है, जिससे मानवाधिकार मुद्दों पर सहमति बनती है, और अक्सर संघर्षों को मध्यस्थता करके शांति प्रक्रियाओं को बढ़ावा देता है। इसके अतिरिक्त, संयुक्त राष्ट्र के कानूनी उपकरण जैसे अंतर्राष्ट्रीय संधियाँ और सम्मेलनों का उपयोग उल्लंघनकर्ताओं को जवाबदेह ठहराने और वैश्विक मानवाधिकार सुरक्षा के मानकों को स्थापित करने के लिए किया जाता है।
भविष्य में, संयुक्त राष्ट्र यह मानता है कि उसके मानवाधिकार एजेंडे की सफलता इस पर निर्भर करती है कि उसे मजबूत कार्यान्वयन तंत्र बनाने होंगे, ताकि अंतर्राष्ट्रीय कानून न केवल सिद्धांत में, बल्कि व्यवहार में भी लागू किया जा सके। अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और सदस्य देशों के बीच समन्वय का विस्तार आवश्यक है ताकि मौजूदा बाधाओं को पार किया जा सके और यह सुनिश्चित किया जा सके कि हर जगह मानवाधिकारों का सम्मान किया जाए। इसके साथ ही, मानवाधिकार मुद्दों के बारे में सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाना, नागरिक समाज को सशक्त बनाना और स्थानीय समुदायों को वकालत के कार्यों में शामिल करना एक सूचित और सक्रिय वैश्विक जनसंख्या तैयार करने में महत्वपूर्ण होगा, जो मानवाधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हो।
अंततः, जबकि संयुक्त राष्ट्र को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, इसकी निरंतर विकासशीलता और कूटनीति, कानूनी सुधार और साझेदारी निर्माण के प्रति समर्पण महत्वपूर्ण हैं, ताकि भविष्य में ऐसा दुनिया बन सके जहाँ गरिमा, स्वतंत्रता और न्याय के सिद्धांत सभी के लिए सम्मानित किए जाएं। मानवाधिकारों को बढ़ावा देने में संयुक्त राष्ट्र की दीर्घकालिक सफलता अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की सामूहिक इच्छा, इसके कार्यान्वयन क्षमताओं की सुदृढ़ीकरण और एक न्यायपूर्ण और समान दुनिया बनाने के लिए वैश्विक प्रतिबद्धता पर निर्भर करेगी।
निष्कर्ष (Conclusion):
संयुक्त राष्ट्र ने वैश्विक मानवाधिकार संरक्षण और प्रचार में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसकी नीतियों, घोषणाओं और वैश्विक पहलों के माध्यम से यह एक ऐसे विश्व की वकालत करता है, जहाँ सभी के लिए मौलिक स्वतंत्रताएँ उपलब्ध हों। यूएन का उद्देश्य न केवल घोषणाओं तक सीमित है, बल्कि यह सदस्य देशों, गैर सरकारी संगठनों और नागरिक समाज के साथ मिलकर उन सिद्धांतों को लागू करने की दिशा में काम करता है। इसके वैश्विक उद्देश्य जैसे टिकाऊ विकास लक्ष्य (SDGs) यह दर्शाते हैं कि यह सभी व्यक्तियों को समान अवसर और अधिकार प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।
हालाँकि, कई चुनौतियाँ बनी हुई हैं जैसे राजनीतिक संघर्ष, आर्थिक असमानताएँ और सांस्कृतिक अवरोध, जो कई क्षेत्रों में प्रगति को रोकते हैं। इसके अलावा, कुछ मामलों में प्रभावी कार्यान्वयन तंत्र की कमी के कारण मानवाधिकार उल्लंघन करने वाले बच निकलते हैं। फिर भी, संयुक्त राष्ट्र इन बाधाओं को पार करने के लिए प्रतिबद्ध है और अपनी रणनीतियाँ जैसे कूटनीति, वकालत और कानूनी ढाँचे का उपयोग करके बदलाव के लिए प्रयासरत है।
कुल मिलाकर, जबकि संयुक्त राष्ट्र को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, इसकी मानवाधिकारों के क्षेत्र में की गई योगदान अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। यह एक आशा की किरण के रूप में काम करता है, जो न्यायपूर्ण और समान समाज की ओर मार्गदर्शन करता है। भविष्य में, मानवाधिकारों की सुरक्षा और प्रचार में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका हमेशा महत्वपूर्ण बनी रहेगी।
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