प्रस्तावना (Introduction)
मानव शरीर एक अत्यंत जटिल, संगठित और अद्भुत रचना है जिसमें अनेक प्रणालियाँ एक-दूसरे के साथ मिलकर कार्य करती हैं। प्रत्येक प्रणाली का अपना विशिष्ट कार्य होता है, परंतु इन सभी प्रणालियों का समन्वय ही जीवन को संभव बनाता है। इन्हीं प्रणालियों में से अस्थि-पंजर प्रणाली (Skeletal System) सबसे महत्त्वपूर्ण मानी जाती है, क्योंकि यह पूरे शरीर को ढाँचा, आकार और स्थिरता प्रदान करती है। अस्थियाँ केवल शरीर को खड़ा रखने का कार्य नहीं करतीं, बल्कि वे हमारे शरीर के हर आंदोलन और गति के लिए भी उत्तरदायी होती हैं।
यदि अस्थि-पंजर न हो तो शरीर ढीला और असंगठित हो जाएगा। जैसे एक भवन बिना स्तंभों और दीवारों के खड़ा नहीं रह सकता, वैसे ही शरीर बिना अस्थियों के अस्तित्व में नहीं रह सकता। इस दृष्टि से अस्थि-पंजर शरीर की “आधारभूत संरचना” है, जो शरीर को संतुलन, सुरक्षा और गतिशीलता प्रदान करती है।
अस्थि-पंजर प्रणाली की परिभाषा (Definition of Skeletal System)
अस्थि-पंजर प्रणाली से तात्पर्य शरीर में उपस्थित अस्थियाँ (Bones), उपास्थियाँ (Cartilages), जोड़ (Joints) तथा स्नायुबंधन (Ligaments) के उस जाल से है जो शरीर को एक रूप, आकार और गति प्रदान करता है। यह प्रणाली शरीर के सभी बाहरी और आंतरिक भागों को सहारा देती है और उनके उचित कार्यन्वयन में सहायता करती है।
सरल शब्दों में कहा जाए तो —
“अस्थि-पंजर प्रणाली वह जीवंत ढाँचा है जो मानव शरीर को खड़ा रखता है, अंगों की रक्षा करता है और गति-संचालन में प्रमुख भूमिका निभाता है।”
यह प्रणाली शरीर के हर उस कार्य में शामिल है जहाँ स्थिरता, शक्ति और संतुलन की आवश्यकता होती है।
मानव शरीर में अस्थियों की संख्या (Number of Bones in Human Body)
मानव शरीर में अस्थियों की संख्या जीवन के विभिन्न चरणों में भिन्न होती है। जन्म के समय एक शिशु के शरीर में लगभग 270 अस्थियाँ होती हैं, जो विकास के साथ-साथ आपस में जुड़कर वयस्क अवस्था में 206 अस्थियाँ रह जाती हैं। यह प्राकृतिक प्रक्रिया शरीर के संतुलन और स्थिरता को सुनिश्चित करती है।
इन अस्थियों का विभाजन दो मुख्य वर्गों में किया जाता है –
1. अक्षीय अस्थि-पंजर (Axial Skeleton) – जो शरीर के मध्य भाग का ढाँचा बनाता है।
2. परिशिष्ट अस्थि-पंजर (Appendicular Skeleton) – जो अंगों (हाथों-पैरों) की अस्थियों से निर्मित होता है।
इस प्रकार, अस्थियों की यह जटिल संरचना शरीर को लचीलापन, शक्ति और संतुलन प्रदान करती है, जिससे हम चल, दौड़, झुक, बैठ और काम कर सकते हैं।
अक्षीय अस्थि-पंजर (Axial Skeleton)
अक्षीय अस्थि-पंजर मानव शरीर की मध्यरेखा पर स्थित वह ढाँचा है जो शरीर की सीध और स्थिरता को बनाए रखता है। इसमें लगभग 80 अस्थियाँ होती हैं जो सिर, गर्दन और धड़ (trunk) का निर्माण करती हैं।
मुख्य भाग:
खोपड़ी (Skull): इसमें 22 अस्थियाँ होती हैं। ये मस्तिष्क (Brain) और संवेदी अंगों (Sensory Organs) जैसे आँख, कान, नाक आदि की रक्षा करती हैं।
कशेरुक स्तंभ (Vertebral Column): यह रीढ़ की हड्डी कहलाती है जिसमें कुल 33 कशेरुकाएँ (Vertebrae) होती हैं, जो शरीर को लचीलापन और संतुलन देती हैं।
वक्ष पिंजरा (Rib Cage): इसमें 12 जोड़ियों की पसलियाँ और उरोस्थि (Sternum) होती हैं। यह हृदय, फेफड़ों और यकृत जैसे नाजुक अंगों की सुरक्षा करता है।
महत्त्व:
अक्षीय अस्थि-पंजर शरीर को सीधा रखने, अंगों की रक्षा करने और शरीर के भार को समान रूप से संभालने में सहायता करता है। यह शरीर की स्थिरता का केंद्रीय आधार है।
परिशिष्ट अस्थि-पंजर (Appendicular Skeleton)
परिशिष्ट अस्थि-पंजर शरीर के ऊपरी और निचले अंगों की अस्थियों से बना होता है और यह शरीर की गति (Movement) के लिए जिम्मेदार होता है। इसमें कुल 126 अस्थियाँ शामिल होती हैं।
मुख्य भाग:
ऊपरी अंग (Upper Limbs): इनमें कंधा, भुजा, कोहनी, कलाई, हाथ और उँगलियाँ शामिल हैं। ये पकड़ने, उठाने और वस्तुओं को नियंत्रित करने के कार्य करते हैं।
निचले अंग (Lower Limbs): इनमें जाँघ, घुटना, टखना और पैर की अस्थियाँ शामिल हैं जो चलने, दौड़ने और शरीर का भार उठाने में सहायक हैं।
कंधा एवं श्रोणि पट्टा (Pectoral and Pelvic Girdles): ये ऊपरी और निचले अंगों को शरीर के मुख्य ढाँचे (Axial Skeleton) से जोड़ते हैं।
महत्त्व:
परिशिष्ट अस्थि-पंजर शरीर को गतिशील बनाता है। यह न केवल चलने-फिरने की क्षमता प्रदान करता है, बल्कि संतुलन बनाए रखने और कार्यात्मक गतिविधियों को करने में भी सहायता करता है।
अस्थियों की संरचना (Structure of Bones)
अस्थियाँ अत्यंत जटिल लेकिन जीवंत संरचनाएँ होती हैं। इनमें मुख्य रूप से कैल्शियम, फॉस्फोरस, कोलेजन और जल पाया जाता है।
बाहरी परत (Outer Layer) कठोर और ठोस होती है जिसे कंपैक्ट बोन (Compact Bone) कहते हैं।
अंदर की परत को स्पंजी बोन (Spongy Bone) कहा जाता है जिसमें अस्थिमज्जा (Bone Marrow) स्थित होती है।
अस्थिमज्जा वह जीवंत ऊतक है जिसमें रक्त कोशिकाओं का निर्माण होता है। अस्थियाँ जहाँ कठोरता प्रदान करती हैं, वहीं कोलेजन तंतु (Collagen Fibers) उन्हें लचीलापन प्रदान करते हैं ताकि वे झटकों को सह सकें और शरीर की गतियों के अनुकूल कार्य कर सकें।
अस्थियों के कार्य (Functions of Bones)
अस्थियाँ केवल शरीर को ढाँचा देने का कार्य नहीं करतीं, बल्कि वे जीवन के हर आंदोलन और संतुलन में भाग लेती हैं।
1. सहारा देना: अस्थियाँ शरीर को आकार और मजबूती देती हैं।
2. गति में सहायता: मांसपेशियाँ (Muscles) अस्थियों से जुड़ी होती हैं और उनके संकुचन एवं प्रसार से शरीर की गति संभव होती है।
3. सुरक्षा: अस्थियाँ मस्तिष्क, हृदय, फेफड़े, यकृत आदि अंगों को बाहरी चोटों से बचाती हैं।
4. रक्त निर्माण: अस्थिमज्जा में रक्त की कोशिकाओं (RBCs, WBCs, Platelets) का निर्माण होता है।
5. खनिज भंडारण: अस्थियाँ कैल्शियम और फॉस्फोरस जैसे खनिजों का भंडार हैं।
6. संतुलन: अस्थियाँ शरीर के भार को समान रूप से वितरित करके संतुलन बनाए रखती हैं।
जोड़ और उपास्थियाँ (Joints and Cartilages)
अस्थियों को आपस में जोड़ने वाली संरचनाएँ जोड़ (Joints) कहलाती हैं। इनके कारण ही शरीर में गति संभव हो पाती है।
जोड़ों के प्रकार:
चलायमान जोड़ (Movable Joints): जैसे – कंधा, घुटना, कोहनी।
आंशिक रूप से चलायमान जोड़ (Partially Movable): जैसे – रीढ़ की हड्डी के जोड़।
अचल जोड़ (Immovable Joints): जैसे – खोपड़ी की अस्थियाँ।
उपास्थि (Cartilage): अस्थियों के सिरों पर स्थित चिकनी, मुलायम और लचीली परत होती है जो घर्षण को कम करती है और गति को सहज बनाती है।
अस्थियों से जुड़ी सामान्य बीमारियाँ (Common Diseases Related to Bones)
1. ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis): अस्थियों की घनता कम होने से वे भुरभुरी और कमजोर हो जाती हैं।
2. रिकेट्स (Rickets): बच्चों में विटामिन D की कमी से हड्डियाँ नरम और मुड़ जाती हैं।
3. आर्थराइटिस (Arthritis): जोड़ो में सूजन, दर्द और जकड़न उत्पन्न होने की समस्या।
4. फ्रैक्चर (Fracture): किसी दुर्घटना या चोट के कारण अस्थि का टूटना या दरार आना।
इन बीमारियों से बचाव के लिए कैल्शियम-युक्त आहार, पर्याप्त धूप (Vitamin D), नियमित व्यायाम और सही मुद्रा आवश्यक हैं।
शारीरिक शिक्षा में अस्थि-पंजर का महत्त्व (Importance of Skeletal System in Physical Education)
शारीरिक शिक्षा में अस्थि-पंजर प्रणाली का अध्ययन अत्यंत आवश्यक है क्योंकि यह शरीर की संरचना और गति के सिद्धांतों को समझने में सहायता करता है।
एक शिक्षक या प्रशिक्षक यदि अस्थियों, जोड़ों और मांसपेशियों के कार्य को समझता है, तो वह खेल प्रशिक्षण को अधिक प्रभावी बना सकता है और चोटों से बचाव के उपाय भी कर सकता है।
योग, व्यायाम, दौड़, तैराकी आदि सभी शारीरिक क्रियाएँ अस्थि-पंजर को मजबूत बनाती हैं। यह प्रणाली न केवल शरीर की शक्ति का प्रतीक है, बल्कि स्वास्थ्य और दीर्घायु की कुंजी भी है।
निष्कर्ष (Conclusion)
अस्थि-पंजर प्रणाली मानव शरीर की वह मूलभूत संरचना है जो जीवन की गति को संभव बनाती है। यह शरीर को आकार, शक्ति, स्थिरता और सुरक्षा प्रदान करती है। अस्थियाँ शरीर की मौन आधारशिला हैं, जो हमारे प्रत्येक आंदोलन में अपना योगदान देती हैं।
अतः कहा जा सकता है कि –
“अस्थि-पंजर शरीर का आधार नहीं, बल्कि जीवन की दृढ़ नींव है जो हमारे अस्तित्व को स्थिर और सक्षम बनाती है।”
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