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दिसंबर, 2025 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Concept of Hidden Curriculum गुप्त पाठ्यचर्या की अवधारणा

प्रस्तावना (Introduction) शिक्षा को सामान्यतः उस औपचारिक पाठ्यचर्या से जोड़ा जाता है, जो विद्यालयों और विश्वविद्यालयों में पाठ्यपुस्तकों, सिलेबस और परीक्षा के माध्यम से पढ़ाई जाती है। किंतु व्यवहार में शिक्षा केवल पुस्तकों तक सीमित नहीं रहती। विद्यार्थी विद्यालय के वातावरण, शिक्षक के व्यवहार, साथियों के संबंधों, संस्थागत नियमों, अनुशासन, प्रतियोगिता और सामाजिक अपेक्षाओं से भी बहुत कुछ सीखता है। यही अनौपचारिक, अप्रत्यक्ष और अनकहे रूप में मिलने वाला शिक्षण “गुप्त पाठ्यचर्या” (Hidden Curriculum) कहलाता है। गुप्त पाठ्यचर्या वह शैक्षिक प्रभाव है, जो लिखित पाठ्यक्रम का हिस्सा नहीं होता, लेकिन विद्यार्थी के व्यक्तित्व, आचरण, सोच और सामाजिक दृष्टिकोण को गहराई से प्रभावित करता है। यह पाठ्यचर्या न तो परीक्षा में पूछी जाती है और न ही इसे औपचारिक रूप से पढ़ाया जाता है, फिर भी इसका प्रभाव अत्यंत व्यापक और स्थायी होता है। गुप्त पाठ्यचर्या का अर्थ (Meaning of Hidden Curriculum)  गुप्त पाठ्यचर्या से तात्पर्य उस अनलिखी, अप्रकट और अनौपचारिक शिक्षा से है, जो विद्यार्थी विद्यालयी जीवन के दौरान स्वयं अ...

Social Constructivist Perspective of Curriculum पाठ्यचर्या का सामाजिक संरचनावादी दृष्टिकोण

प्रस्तावना (Introduction) आधुनिक शिक्षा व्यवस्था में पाठ्यचर्या को अब केवल विषयवस्तु की सूची नहीं माना जाता, बल्कि उसे एक सक्रिय, सामाजिक और रचनात्मक प्रक्रिया के रूप में देखा जाता है। पहले यह समझा जाता था कि ज्ञान बाहर से विद्यार्थी के मन में डाला जाता है, परंतु अब यह स्वीकृत हो चुका है कि ज्ञान का निर्माण विद्यार्थी स्वयं अपने अनुभवों, सामाजिक संवाद और परिवेश के माध्यम से करता है। इसी धारणा पर आधारित शैक्षिक विचारधारा को सामाजिक संरचनावाद (Social Constructivism) कहा जाता है। यह दृष्टिकोण यह मानता है कि सीखना केवल एक मानसिक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह समाज, संस्कृति, भाषा, परंपराओं और पारस्परिक संबंधों से गहराई से जुड़ा हुआ है। पाठ्यचर्या का सामाजिक संरचनावादी दृष्टिकोण विद्यार्थी को निष्क्रिय श्रोता नहीं, बल्कि एक सचेत, विचारशील और सामाजिक प्राणी के रूप में विकसित करने पर बल देता है। सामाजिक संरचनावाद का अर्थ (Meaning of Social Constructivism) सामाजिक संरचनावाद वह सिद्धांत है, जिसके अनुसार ज्ञान व्यक्तिगत स्तर पर नहीं, बल्कि सामाजिक अंतःक्रियाओं के माध्यम से निर्मित होता है। इस दृष्ट...

School knowledge and its reflection in the form of curriculum, syllabus, and textbooks विद्यालयी ज्ञान और उसका पाठ्यक्रम, पाठ्यवस्तु (सिलेबस) तथा पाठ्यपुस्तकों के रूप में प्रतिबिंब

1. भूमिका (Introduction) शिक्षा किसी भी समाज की बुनियाद होती है और विद्यालय उसकी औपचारिक संरचना का प्रारंभिक तथा सबसे महत्वपूर्ण स्तर होता है। विद्यालय में दी जाने वाली शिक्षा केवल पुस्तकीय सूचना तक सीमित नहीं होती, बल्कि वह विद्यार्थियों के बौद्धिक, सामाजिक, नैतिक, सांस्कृतिक और भावनात्मक विकास की दिशा तय करती है। इस संपूर्ण प्रक्रिया का मूल आधार विद्यालयी ज्ञान (School Knowledge) होता है। यही ज्ञान जब संगठित रूप में संरचित किया जाता है, तो वह पाठ्यक्रम (Curriculum) बनता है, उसका व्यावहारिक विभाजन पाठ्यवस्तु (Syllabus) कहलाता है और उसका प्रत्यक्ष एवं ठोस रूप पाठ्यपुस्तकों (Textbooks) में दिखाई देता है। इस प्रकार विद्यालयी ज्ञान का वास्तविक प्रतिबिंब हमें पाठ्यक्रम, सिलेबस और पाठ्यपुस्तकों में देखने को मिलता है। 2. विद्यालयी ज्ञान का अर्थ (Meaning of School Knowledge) विद्यालयी ज्ञान वह चयनित, संगठित और उद्देश्यपूर्ण ज्ञान है, जिसे विद्यालय के माध्यम से विद्यार्थियों को समाजोपयोगी नागरिक बनाने के उद्देश्य से प्रदान किया जाता है। यह ज्ञान केवल तथ्यों का संग्रह नहीं होता, बल्कि इसमें मान...