सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

Unitary System of Government: Meaning, Features, Merits, and Demerits एकात्मक शासन प्रणाली: अर्थ, विशेषताएँ, गुण और दोष



एकात्मक शासन प्रणाली (Unitary System of Government) वह शासन प्रणाली है जिसमें संपूर्ण प्रशासनिक और विधायी शक्ति एक ही केंद्रीय सरकार में निहित होती है। संघीय प्रणाली के विपरीत, जहां शक्ति केंद्र और क्षेत्रीय सरकारों के बीच संवैधानिक रूप से विभाजित होती है, एकात्मक प्रणाली में केंद्रीय सरकार ही सभी निर्णय लेने, नीतियों के निर्माण और प्रशासन को नियंत्रित करने का कार्य करती है। यदि स्थानीय या क्षेत्रीय सरकारें मौजूद होती भी हैं, तो वे केवल केंद्रीय शासन के अधीन प्रशासनिक इकाइयों के रूप में कार्य करती हैं और स्वतंत्र रूप से कोई संप्रभुता नहीं रखतीं।
यह प्रणाली उन देशों में अधिक लोकप्रिय होती है, जहां भौगोलिक क्षेत्र छोटा होता है और शासन में एकरूपता बनाए रखना आवश्यक होता है ताकि राजनीतिक स्थिरता, प्रभावी प्रशासन और राष्ट्रीय एकता सुनिश्चित की जा सके। इसके अलावा, वे देश जो मजबूत केंद्रीय नेतृत्व और त्वरित निर्णय-प्रक्रिया को प्राथमिकता देते हैं, वे इस प्रणाली को अपनाते हैं, क्योंकि इससे विभिन्न स्तरों की सरकारों के बीच टकराव की संभावनाएं कम हो जाती हैं और राष्ट्रीय नीतियों में सामंजस्य बना रहता है। हालांकि, एकात्मक प्रणाली में विकेंद्रीकरण की मात्रा अलग-अलग हो सकती है; कुछ सरकारें स्थानीय निकायों को कुछ हद तक स्वायत्तता प्रदान करती हैं ताकि वे क्षेत्रीय आवश्यकताओं का प्रबंधन कर सकें, लेकिन वे फिर भी केंद्रीय सरकार के अधिकार क्षेत्र में ही काम करते हैं।

एकात्मक सरकार का अर्थ और परिभाषा
Meaning and Definition of a Unitary Government:

एकात्मक प्रणाली में केंद्रीय सरकार को पूर्ण अधिकार प्राप्त होता है, और क्षेत्रीय या स्थानीय सरकारें अपनी शक्तियाँ केंद्र सरकार से प्राप्त करती हैं। केंद्रीय सरकार अपनी इच्छा अनुसार स्थानीय सरकारों का गठन, संशोधन या उन्मूलन कर सकती है।

विद्वानों द्वारा दी गई परिभाषाएँ
Definitions by Scholars:

ए. वी. डाइसी - "एकात्मक संविधान वह होता है जिसमें सरकार की सभी शक्तियाँ एक ही प्राधिकरण में केंद्रीकृत होती हैं।"

व्हेयर - "एकात्मक सरकार वह होती है जिसमें सभी अधिकार और शक्तियाँ एक ही सरकार में केंद्रीकृत होती हैं, और स्थानीय इकाइयाँ केवल केंद्रीय सरकार की इच्छा पर ही अस्तित्व में रहती हैं।"

गार्नर – "एकात्मक सरकार वह होती है जिसमें शासन की सभी शक्तियाँ एक ही केंद्रीय प्राधिकरण में निहित होती हैं, और कोई भी प्रशासनिक इकाई उसके नियंत्रण में कार्य करती है।"

विलियम राइकर – "एकात्मक प्रणाली वह होती है जिसमें संप्रभुता पूरी तरह से राष्ट्रीय सरकार में केंद्रित होती है, और स्थानीय निकाय केवल इसकी नीतियों को लागू करने के लिए मौजूद होते हैं।"

केनेथ व्हेयर – "एकात्मक सरकार में, कानूनी और राजनीतिक अधिकार एक ही सरकार में केंद्रीकृत होते हैं, और निचले स्तर की प्रशासनिक इकाइयाँ इसकी इच्छा अनुसार कार्य करती हैं।"

फाइनर – "एकात्मक सरकार वह होती है जहाँ केंद्रीय प्राधिकरण सर्वोच्च होता है, और क्षेत्रीय सरकारें केंद्रीय सरकार की प्रशासनिक इकाइयों के रूप में कार्य करती हैं।"

Features of a Unitary System
एकात्मक प्रणाली की विशेषताएँ

1. केंद्रीकृत शक्ति
Centralized Power:

एकात्मक शासन प्रणाली में संपूर्ण राजनीतिक और प्रशासनिक अधिकार केंद्रीय सरकार के हाथों में केंद्रित होते हैं। यह सरकार कानून बनाने, उन्हें लागू करने और शासन के सभी पहलुओं को नियंत्रित करने का कार्य करती है। स्थानीय या क्षेत्रीय सरकारों को स्वतंत्र निर्णय लेने का अधिकार नहीं होता, बल्कि वे केंद्रीय सरकार के आदेशों के अनुसार कार्य करती हैं। इस प्रणाली में सत्ता का बंटवारा न होने के कारण शासन अधिक संगठित और नियंत्रित रहता है। केंद्रीकरण से नीतियों का कार्यान्वयन तेज और प्रभावी होता है, जिससे प्रशासनिक प्रक्रिया में अनुशासन बना रहता है।

2. कानूनों और नीतियों में एकरूपता
Uniformity in Laws and Policies:

एकात्मक प्रणाली में पूरे देश में समान कानून और नीतियाँ लागू होती हैं, जिससे शासन में स्थिरता और स्पष्टता बनी रहती है। विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग कानूनों के कारण उत्पन्न होने वाली भ्रम की स्थिति से बचा जाता है, जिससे नागरिकों के लिए नियमों को समझना और उनका पालन करना आसान हो जाता है। यह प्रणाली सभी नागरिकों को समान अधिकार और उत्तरदायित्व प्रदान करती है, जिससे राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा मिलता है। इसके अलावा, नीति-निर्माण की प्रक्रिया में समानता रहने से किसी विशेष क्षेत्र को अन्य क्षेत्रों की तुलना में अधिक लाभ या हानि नहीं होती।

3. स्थानीय सरकारों के लिए कोई संप्रभुता नहीं
No Sovereignty for Local Governments:

राज्य, प्रांत, या नगरपालिकाएँ स्वतंत्र सत्ता का उपयोग नहीं कर सकते, क्योंकि वे केंद्रीय सरकार के नियंत्रण में होते हैं। स्थानीय प्रशासन केवल उतनी ही शक्ति का प्रयोग कर सकता है जितनी केंद्र सरकार द्वारा प्रदान की जाती है। केंद्र सरकार की अनुमति के बिना कोई क्षेत्रीय निकाय नए कानून लागू नहीं कर सकता या प्रशासनिक निर्णय नहीं ले सकता। यदि आवश्यक हो, तो केंद्र सरकार इन प्रशासनिक इकाइयों का पुनर्गठन कर सकती है या उन्हें पूरी तरह समाप्त कर सकती है। इससे सरकार का ढांचा अधिक संगठित और अनुशासित रहता है, लेकिन स्थानीय आवश्यकताओं की अनदेखी होने की संभावना भी बढ़ जाती है।

4. लचीला प्रशासनिक ढांचा
Flexible Administrative Structure:

एकात्मक शासन प्रणाली में प्रशासनिक ढांचा अत्यधिक लचीला होता है, क्योंकि सत्ता पूरी तरह से केंद्र के हाथों में होती है। सरकार आवश्यकतानुसार प्रशासनिक इकाइयों का पुनर्गठन कर सकती है, नए क्षेत्र बना सकती है या पुराने क्षेत्रों का विलय कर सकती है। इससे प्रशासन को अधिक प्रभावी और उत्तरदायी बनाया जा सकता है, जिससे शासन में दक्षता बढ़ती है। यदि किसी क्षेत्र में प्रशासनिक परिवर्तन की आवश्यकता हो, तो केंद्रीय सरकार त्वरित निर्णय लेकर उसे लागू कर सकती है। इस लचीलेपन के कारण शासन प्रणाली समय के साथ बदलते सामाजिक और आर्थिक परिदृश्य के अनुरूप बनी रहती है।

5. प्रभावी निर्णय-निर्माण प्रक्रिया
Efficient Decision-Making Process:

चूंकि एकात्मक शासन प्रणाली में निर्णय लेने की प्रक्रिया केवल एक केंद्रीय प्राधिकरण पर निर्भर करती है, इसलिए यह प्रणाली त्वरित और प्रभावी होती है। विभिन्न स्तरों के बीच समन्वय और स्वीकृति की आवश्यकता नहीं होने के कारण नीतियों का क्रियान्वयन तेजी से किया जाता है। इसके विपरीत, संघीय प्रणाली में विभिन्न स्तरों की सरकारों के बीच सहमति आवश्यक होती है, जिससे निर्णय लेने की प्रक्रिया धीमी हो सकती है। एकात्मक प्रणाली में सरकार आपातकालीन स्थितियों में तुरंत निर्णय ले सकती है, जिससे प्रशासन अधिक कुशल और संगठित बनता है। हालांकि, इस प्रक्रिया में कभी-कभी स्थानीय मुद्दों की अनदेखी होने की संभावना रहती है।

एकात्मक सरकारों के उदाहरण
Examples of Unitary Governments:

कई देश एकात्मक शासन प्रणाली का पालन करते हैं। कुछ प्रमुख उदाहरण इस प्रकार हैं:

यूनाइटेड किंगडम United Kingdom:

हालांकि यूके ने स्कॉटलैंड, वेल्स और उत्तरी आयरलैंड को कुछ विकेंद्रीकृत शक्तियाँ प्रदान की हैं, फिर भी यह एकात्मक राज्य बना हुआ है, जहाँ केंद्रीय संसद सर्वोच्च अधिकार रखती है।

फ्रांस France:

फ्रांस की सरकार केंद्रीकृत नियंत्रण बनाए रखती है, हालांकि स्थानीय स्तर पर कुछ हद तक विकेंद्रीकरण मौजूद है।

चीन china:

संपूर्ण शासकीय शक्ति केंद्रीय सरकार के हाथों में केंद्रित होती है, जो प्रांतों, नगरपालिकाओं और स्वायत्त क्षेत्रों को नियंत्रित करती है।

जापान Japan:

यह देश एकात्मक प्रणाली का पालन करता है, जहाँ सभी प्रशासनिक विभाग केंद्रीय सरकार के अधीन कार्य करते हैं।

श्रीलंका Sri Lanka:

केंद्रीय सरकार सभी प्रशासनिक इकाइयों पर अधिकार रखती है, और क्षेत्रीय निकाय उसके नियंत्रण में कार्य करते हैं।

एकात्मक प्रणाली के लाभ
Merits of a Unitary System:

1. मजबूत और स्थिर सरकार
Strong and Stable Government:

एकात्मक शासन प्रणाली में सत्ता का केंद्रीकरण राजनीतिक स्थिरता सुनिश्चित करता है और केंद्रीय तथा क्षेत्रीय सरकारों के बीच टकराव की संभावनाओं को कम करता है। चूंकि सभी प्रशासनिक निर्णय एक ही केंद्रीय इकाई द्वारा लिए जाते हैं, विभिन्न स्तरों के बीच विवाद की गुंजाइश नहीं रहती, जिससे शासन अधिक संगठित होता है। पूरे देश में समान नीतियाँ और कानून लागू होने के कारण क्षेत्रीय स्वायत्तता से उत्पन्न होने वाले मतभेद नहीं होते। केंद्रीकृत शासन प्रणाली तेज़ी से निर्णय लेने में सक्षम होती है, जिससे प्रशासनिक प्रक्रियाओं में अनावश्यक देरी नहीं होती। यह व्यवस्था राष्ट्रीय एकता को भी मजबूत करती है क्योंकि सभी क्षेत्र एक समान नियमों का पालन करते हैं। इसके अलावा, इस प्रणाली में क्षेत्रीय अलगाववाद जैसी प्रवृत्तियों को पनपने का अवसर नहीं मिलता, जिससे देश की अखंडता बनी रहती है। संकट की स्थिति में सरकार त्वरित निर्णय ले सकती है और किसी क्षेत्रीय स्वीकृति की आवश्यकता नहीं होती। कुल मिलाकर, एकात्मक शासन प्रणाली एक संगठित, स्थिर और प्रभावी प्रशासनिक ढाँचा प्रदान करती है।

2. समान कानून और नीतियाँ
Uniform Laws and Policies:

एकात्मक शासन प्रणाली में पूरे देश में समान कानून लागू होते हैं, जिससे प्रशासन में स्पष्टता और स्थिरता बनी रहती है। यह एकरूपता विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग कानूनों से होने वाली उलझनों को समाप्त करती है, जिससे नागरिकों के लिए नियमों को समझना और उनका पालन करना आसान हो जाता है। सभी नागरिकों को समान अधिकार और उत्तरदायित्व प्राप्त होते हैं, जिससे समाज में न्याय और समानता सुनिश्चित होती है। व्यापार और निवेश के लिए एक स्थिर और पूर्वानुमानित कानूनी ढाँचा तैयार होता है, जिससे प्रशासनिक जटिलताएँ कम होती हैं। पूरे देश में एक समान कानून प्रणाली राष्ट्रीय एकता को मजबूत करती है और क्षेत्रीय असमानताओं को कम करती है। सरकारी योजनाओं और नीतियों को बिना किसी क्षेत्रीय संशोधन के प्रभावी ढंग से लागू किया जा सकता है। नागरिकों के साथ उनके निवास स्थान के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाता, क्योंकि सभी के लिए कानूनी प्रावधान समान होते हैं। कुल मिलाकर, समान कानून और नीतियाँ शासन को अधिक संगठित और प्रभावी बनाती हैं, जिससे प्रशासनिक स्थिरता बनी रहती है।

3. त्वरित निर्णय-निर्माण
Quick Decision-Making:

एकात्मक शासन प्रणाली में निर्णय लेने की प्रक्रिया तेज़ और प्रभावी होती है क्योंकि इसमें कई स्तरों की सरकारों से परामर्श करने की आवश्यकता नहीं होती। चूंकि सत्ता पूरी तरह से केंद्र सरकार के हाथों में होती है, इसलिए नीतियों को जल्दी से तैयार कर लागू किया जा सकता है। यह प्रणाली विशेष रूप से आपातकालीन परिस्थितियों में उपयोगी होती है, जहाँ त्वरित निर्णय आवश्यक होते हैं। संघीय प्रणाली की तुलना में यहाँ प्रशासनिक प्रक्रियाएँ सरल और सीधी होती हैं, जिससे अनावश्यक देरी नहीं होती। सरकार को किसी क्षेत्रीय स्वीकृति की प्रतीक्षा करने की आवश्यकता नहीं होती, जिससे क्रियान्वयन अधिक प्रभावी होता है। नीतिगत फैसले लेते समय विभिन्न राज्यों या क्षेत्रों के मतभेदों से बचा जाता है, जिससे प्रशासनिक गतिरोध की संभावना कम होती है। युद्ध, प्राकृतिक आपदा या किसी अन्य संकट के दौरान, एकात्मक सरकारें तुरंत कार्रवाई कर सकती हैं। यह प्रणाली न केवल शासन को अधिक संगठित बनाती है बल्कि नागरिकों तक सेवाओं को शीघ्रता से पहुँचाने में भी सहायक होती है।

4. किफायती प्रशासन
Cost-Effective Administration:

एकात्मक शासन प्रणाली में प्रशासनिक लागत अपेक्षाकृत कम होती है, क्योंकि इसमें अनेक स्तरों की सरकारों की आवश्यकता नहीं होती। संघीय प्रणाली में राज्यों और स्थानीय सरकारों के लिए अलग-अलग संसाधन और बजट आवश्यक होते हैं, जिससे खर्च बढ़ जाता है, जबकि एकात्मक प्रणाली में यह समस्या नहीं होती। सरकार को केवल एक केंद्रीकृत प्रशासनिक तंत्र को बनाए रखना होता है, जिससे सरकारी संसाधनों का अधिकतम उपयोग किया जा सकता है। कम प्रशासनिक संरचना के कारण सरकारी विभागों में समन्वय बेहतर होता है और अनावश्यक नौकरशाही से बचा जाता है। इस प्रणाली में सरकारी योजनाओं और सेवाओं को लागू करने में कम खर्च आता है, जिससे करदाताओं का धन बचता है। सीमित प्रशासनिक इकाइयों के कारण भ्रष्टाचार की संभावनाएँ भी कम हो जाती हैं, जिससे सरकार अधिक पारदर्शी बनती है। संसाधनों के कुशल प्रबंधन से सरकार विकास और जनकल्याणकारी योजनाओं पर अधिक ध्यान केंद्रित कर सकती है। कुल मिलाकर, यह प्रणाली शासन को आर्थिक रूप से प्रभावी और टिकाऊ बनाती है।

5. मजबूत राष्ट्रीय एकता
 Better National Unity:

एकात्मक शासन प्रणाली में संपूर्ण सत्ता केंद्र सरकार के हाथों में होने के कारण क्षेत्रीय विभाजन की संभावनाएँ कम हो जाती हैं, जिससे राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा मिलता है। जब विभिन्न क्षेत्रों को अलग-अलग प्रशासनिक अधिकार नहीं दिए जाते, तो राष्ट्र के भीतर विभाजन की भावना विकसित नहीं होती। सभी नागरिकों के लिए समान कानून और नीतियाँ लागू होने से उनके बीच एक सामूहिक पहचान और समानता की भावना उत्पन्न होती है। इससे क्षेत्रीय भेदभाव कम होता है और लोग एक ही राष्ट्रीय ढाँचे के हिस्से के रूप में खुद को देखते हैं। एकात्मक प्रणाली में अलगाववादी प्रवृत्तियों को बढ़ावा देने वाले कारकों पर भी नियंत्रण रखा जाता है, जिससे देश की अखंडता बनी रहती है। पूरे देश में एक समान प्रशासनिक ढाँचा होने से सांस्कृतिक और सामाजिक समरसता को बढ़ावा मिलता है। शिक्षा, आर्थिक नीतियों और सरकारी योजनाओं में समानता होने से सभी नागरिकों को समान अवसर मिलते हैं, जिससे राष्ट्र मजबूत होता है। कुल मिलाकर, एकात्मक प्रणाली देश को अधिक संगठित, स्थिर और एकजुट बनाए रखने में सहायक होती है।

एकात्मक प्रणाली की सीमाएँ
Demerits of a Unitary System:

1. सत्ता का अति-केंद्रिकरण
Overcome of Power:

अत्यधिक केंद्रीकरण के कारण प्रशासनिक कार्यों में जटिलता बढ़ सकती है, जिससे निर्णय लेने और नीतियों को लागू करने में देरी हो सकती है। विशेष रूप से बड़े देशों में, जहाँ विभिन्न क्षेत्रों की आवश्यकताएँ भिन्न होती हैं, केंद्रीय सरकार के लिए हर क्षेत्र की समस्याओं को तुरंत हल कर पाना मुश्किल हो सकता है। कई बार प्रशासनिक तंत्र बहुत अधिक औपचारिकताओं में उलझ जाता है, जिससे नीति-निर्माण की प्रक्रिया धीमी हो जाती है। क्षेत्रीय स्तर पर निर्णय लेने की स्वतंत्रता न होने के कारण, स्थानीय प्रशासन कई मामलों में प्रभावी कार्रवाई नहीं कर पाता। संसाधनों का वितरण भी असंतुलित हो सकता है, क्योंकि सभी नीतियाँ केंद्र द्वारा तय की जाती हैं। अत्यधिक नियंत्रण से प्रशासनिक लचीलापन कम हो जाता है, जिससे सरकार संकट की स्थिति में तेज़ी से प्रतिक्रिया देने में असमर्थ हो सकती है। स्थानीय निकायों के अधिकार सीमित होने के कारण, वे अपने क्षेत्र की समस्याओं को हल करने के लिए स्वतंत्र रूप से निर्णय नहीं ले सकते। इससे समग्र रूप से शासन व्यवस्था बोझिल और जटिल हो सकती है।

2. स्थानीय आवश्यकताओं की उपेक्षा
Ignores Local Needs:

क्योंकि निर्णय लेने की संपूर्ण शक्ति केंद्रीय सरकार के पास होती है, स्थानीय आवश्यकताओं और क्षेत्रीय मुद्दों की अनदेखी होने की संभावना अधिक रहती है। विभिन्न क्षेत्रों की सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियाँ भिन्न हो सकती हैं, लेकिन एकात्मक प्रणाली में सभी के लिए समान नीतियाँ बनाई जाती हैं, जो हर क्षेत्र की आवश्यकताओं के अनुरूप नहीं होतीं। इससे नागरिकों में असंतोष बढ़ सकता है, क्योंकि उन्हें ऐसा महसूस हो सकता है कि उनकी समस्याओं को अनदेखा किया जा रहा है। क्षेत्रीय स्तर पर लिए जाने वाले निर्णयों में लचीलापन न होने के कारण, स्थानीय प्रशासन की भूमिका सीमित रह जाती है। छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों की आवश्यकताएँ कभी-कभी बड़े शहरी केंद्रों के हितों के मुकाबले प्राथमिकता नहीं पा पातीं। इससे क्षेत्रीय असमानता बढ़ सकती है और देश के कुछ हिस्से विकास की दौड़ में पिछड़ सकते हैं। कई बार, जनता की वास्तविक समस्याओं तक सरकार की पहुँच नहीं हो पाती, जिससे उनके समाधान में देरी होती है। स्थानीय सरकारों को अधिक अधिकार न दिए जाने के कारण, वे अपने नागरिकों की जरूरतों के हिसाब से योजनाओं को लागू नहीं कर पाते।

3. सत्तावादी शासन का खतरा
Risk of Autocratic Rule:

जब संपूर्ण सत्ता केवल एक ही सरकार या कुछ व्यक्तियों के हाथों में केंद्रित होती है, तो लोकतांत्रिक संतुलन बिगड़ने की संभावना बढ़ जाती है। यदि सत्ता का अत्यधिक केंद्रीकरण हो जाए और सत्ता के विकेंद्रीकरण की कोई व्यवस्था न हो, तो यह प्रणाली धीरे-धीरे अधिनायकवाद की ओर बढ़ सकती है। सत्ता की जवाबदेही कम होने के कारण, सरकार जनता की अपेक्षाओं की अनदेखी कर सकती है और मनमाने निर्णय ले सकती है। लोकतंत्र में सत्ता के विकेंद्रीकरण से संतुलन बनाए रखा जाता है, लेकिन एकात्मक शासन प्रणाली में यह संतुलन कमजोर पड़ सकता है। यदि जनता को अपनी समस्याओं को सीधे सरकार तक पहुँचाने का अवसर नहीं मिलता, तो उनकी राय शासन में अधिक प्रभावी नहीं रह जाती। कानूनों और नीतियों को बिना किसी क्षेत्रीय परामर्श के लागू करना, नागरिकों के अधिकारों पर प्रतिबंध लगा सकता है। सत्ता का अधिक केंद्रीकरण कई बार विरोध और असंतोष को जन्म देता है, जिससे समाज में अस्थिरता बढ़ सकती है। कुल मिलाकर, यदि संतुलित तरीके से शासन न किया जाए, तो एकात्मक प्रणाली लोकतांत्रिक मूल्यों को कमजोर कर सकती है।

4. क्षेत्रीय समस्याओं के समाधान में देरी
Delayed Response to Regional Issues:

चूँकि सभी निर्णय केंद्रीय सरकार द्वारा लिए जाते हैं, क्षेत्रीय समस्याओं को हल करने में देरी हो सकती है। कई बार, स्थानीय मुद्दे ऐसे होते हैं, जिन्हें तुरंत हल करना आवश्यक होता है, लेकिन केंद्र सरकार की नौकरशाही प्रक्रियाओं के कारण इनमें अनावश्यक विलंब हो सकता है। संघीय शासन प्रणाली में स्थानीय सरकारें त्वरित निर्णय ले सकती हैं, लेकिन एकात्मक प्रणाली में हर छोटे-बड़े निर्णय के लिए केंद्र पर निर्भर रहना पड़ता है। इससे स्थानीय प्रशासन की कार्यक्षमता प्रभावित होती है और नागरिकों की समस्याओं का समय पर समाधान नहीं हो पाता। प्राकृतिक आपदाएँ, आर्थिक संकट, या कानून-व्यवस्था से जुड़े मुद्दों के समाधान में भी सरकार की प्रतिक्रिया धीमी हो सकती है। जब किसी समस्या को हल करने के लिए पहले केंद्र सरकार की अनुमति लेनी पड़ती है, तो स्थानीय प्रशासन को स्वतंत्र रूप से कार्य करने में कठिनाई होती है। यह स्थिति नागरिकों की असंतुष्टि को बढ़ा सकती है और सरकार के प्रति उनका विश्वास कम कर सकती है। दीर्घकालिक रूप से, यह प्रणाली विकासशील क्षेत्रों की प्रगति में बाधा बन सकती है, क्योंकि उन्हें अपनी जरूरतों के हिसाब से निर्णय लेने की स्वतंत्रता नहीं मिलती।

5. सीमित राजनीतिक भागीदारी
Limited Political Participation:

एकात्मक शासन प्रणाली में राजनीतिक भागीदारी सीमित हो सकती है, क्योंकि अधिकांश निर्णय केंद्र सरकार के स्तर पर लिए जाते हैं, जिससे आम नागरिकों को सीधे निर्णय-निर्माण प्रक्रिया में शामिल होने का अवसर कम मिलता है। जब स्थानीय प्रशासन के पास नीति-निर्माण की शक्ति नहीं होती, तो नागरिकों की आवाज़ सरकार तक प्रभावी रूप से नहीं पहुँच पाती। लोकतंत्र में भागीदारी की भावना महत्वपूर्ण होती है, लेकिन यदि नागरिकों को केवल केंद्र के बनाए नियमों का पालन करना पड़े, तो वे शासन से खुद को अलग-थलग महसूस कर सकते हैं। संघीय प्रणाली में स्थानीय सरकारें नागरिकों के साथ अधिक निकटता से जुड़ी होती हैं, जिससे उनकी समस्याओं को जल्दी समझा और हल किया जा सकता है, लेकिन एकात्मक प्रणाली में यह सुविधा कम होती है। क्षेत्रीय नेतृत्व और स्थानीय प्रतिनिधित्व की सीमित भूमिका के कारण, लोगों को अपनी समस्याओं के समाधान के लिए केवल केंद्र पर निर्भर रहना पड़ता है। राजनीतिक भागीदारी में कमी से शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही पर भी असर पड़ सकता है। जब नागरिकों को लगता है कि उनकी राय को महत्व नहीं दिया जा रहा, तो वे लोकतांत्रिक प्रक्रिया में कम रुचि लेने लगते हैं, जिससे समाज में असंतोष बढ़ सकता है। इस प्रकार, एकात्मक प्रणाली में जनता की सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए अतिरिक्त प्रयासों की आवश्यकता होती है।

निष्कर्ष Conclusion:

एकात्मक शासन प्रणाली उन देशों के लिए उपयुक्त होती है जो राष्ट्रीय एकता को प्राथमिकता देते हैं और केंद्रीकृत निर्णय-निर्माण को आवश्यक मानते हैं। इस प्रणाली में सत्ता का केंद्रीकरण होने के कारण प्रशासनिक निर्णय तेज़ी से लिए और लागू किए जा सकते हैं, जिससे शासन में दक्षता और स्थिरता बनी रहती है। समान कानून और नीतियाँ पूरे देश में लागू होने के कारण नागरिकों को एकरूपता का अनुभव होता है, जिससे राष्ट्रीय अखंडता को बढ़ावा मिलता है। हालाँकि, इस प्रणाली में क्षेत्रीय आवश्यकताओं की अनदेखी होने की संभावना रहती है, क्योंकि स्थानीय प्रशासन को स्वतंत्र रूप से कार्य करने की सीमित शक्ति होती है। अत्यधिक केंद्रीकरण से कभी-कभी नौकरशाही हावी हो सकती है, जिससे प्रशासनिक लचीलापन कम हो जाता है। प्रत्येक देश अपनी भौगोलिक, राजनीतिक और ऐतिहासिक परिस्थितियों के आधार पर यह तय करता है कि उसके लिए एकात्मक प्रणाली उपयुक्त होगी या संघीय प्रणाली। छोटे देशों में एकात्मक प्रणाली अधिक प्रभावी हो सकती है, जबकि बड़े और विविधताओं वाले देशों में संघीय प्रणाली अधिक कारगर सिद्ध होती है। अंततः, कोई भी शासन प्रणाली पूर्णतः दोषरहित नहीं होती, बल्कि प्रत्येक व्यवस्था की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि वह अपने नागरिकों की आवश्यकताओं को कितनी कुशलता से पूरा कर सकती है।

राजनीति विज्ञान के अन्य महत्वपूर्ण टॉपिक्स पढ़ने के लिए नीचे दिए गए link पर click करें:


इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

B.Ed. Detailed Notes in Hindi बी. एड. पाठ्यक्रम के हिन्दी में विस्तृत नोट्स

B.Ed. Curriculum Papers: Childhood, Growing up and Learning Contemporary India and Education Yoga for Holistic Health Understanding Discipline and Subjects Teaching and Learning Knowledge and Curriculum Part I Assessment for Learning Gender, School and Society Knowledge and Curriculum Part II Creating an Inclusive School Guidance and Counseling Health and Physical Education Environmental Studies Pedagogy of School Subjects Pedagogy of Civics Pedagogy of Art Pedagogy of Social Science Pedagogy of Financial Accounting Topics related to B.Ed. Topics related to Political Science

Assessment for Learning

List of Contents: Meaning & Concept of Assessment, Measurement & Evaluation and their Interrelationship मूल्यांकन, मापन और मूल्यनिर्धारण का अर्थ एवं अवधारणा तथा इनकी पारस्परिक सम्बद्धता Purpose of Evaluation शिक्षा में मूल्यांकन का उद्देश्य Principles of Assessment आकलन के सिद्धांत Functions of Measurement and Evaluation in Education शिक्षा में मापन और मूल्यांकन की कार्यप्रणालियाँ Steps of Evaluation Process | मूल्यांकन प्रक्रिया के चरण Types of Measurement मापन के प्रकार Tools of Measurement and Evaluation मापन और मूल्यांकन के उपकरण Techniques of Evaluation मूल्यांकन की तकनीकें Guidelines for Selection, Construction, Assembling, and Administration of Test Items परीक्षण कथनों के चयन, निर्माण, संयोजन और प्रशासन के दिशानिर्देश Characteristics of a Good Evaluation System – Reliability, Validity, Objectivity, Comparability, Practicability एक अच्छी मूल्यांकन प्रणाली की विशेषताएँ – विश्वसनीयता, वैधता, वस्तुनिष्ठता, तुलनात्मकता, व्यावहारिकता Analysis and Interpretation of ...

Understanding discipline and subjects

Click the Topic Name given below: Knowledge - Definition, its genesis and general growth from the remote past to 21st Century  ज्ञान - परिभाषा, उत्पत्ति और प्राचीन काल से लेकर 21वीं सदी तक इसका सामान्य विकास Nature and Role of Disciplinary Knowledge in the School Curriculum  अनुशासनात्मक ज्ञान की प्रकृति और स्कूल पाठ्यक्रम में इसकी भूमिका Paradigm Shifts in the Nature of Discipline  अनुशासन की प्रकृति में रूपांतरकारी परिवर्तन Redefinition and Reformulation of Disciplines and School Subjects Over the Last Two Centuries  पिछली दो शताब्दियों में विषयों और शैक्षणिक अनुशासनों का पुनर्परिभाषीकरण और पुनरूपण John Dewey's Vision: The Role of Core Disciplines in School Curriculum  जॉन डी.वी. की दृष्टि: स्कूल पाठ्यक्रम में मुख्य विषयों की भूमिका Sea Change in Disciplinary Areas: A Perspective on Social Science, Natural Science, and Linguistics  विषय क्षेत्रों में व्यापक परिवर्तन: सामाजिक विज्ञान, प्राकृतिक विज्ञान और भाषाविज्ञान पर एक दृष्टिकोण Selection Criteria of C...