Characteristics of a Good Evaluation System – Reliability, Validity, Objectivity, Comparability, Practicability एक अच्छी मूल्यांकन प्रणाली की विशेषताएँ – विश्वसनीयता, वैधता, वस्तुनिष्ठता, तुलनात्मकता, व्यावहारिकता
प्रस्तावना (Introduction)
मूल्यांकन (Evaluation) किसी भी शिक्षण और अधिगम प्रक्रिया का एक अभिन्न और अनिवार्य घटक होता है। यह केवल छात्रों के प्रदर्शन को आंकने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह शिक्षकों, शिक्षण विधियों और पाठ्यक्रम की प्रभावशीलता की भी परीक्षा लेता है। मूल्यांकन के माध्यम से यह ज्ञात किया जाता है कि छात्रों द्वारा कितनी सीख प्राप्त की गई है, वे किन क्षेत्रों में दक्ष हैं और किन पहलुओं में सुधार की आवश्यकता है। इसके साथ ही, यह शिक्षकों को यह जानने में भी सहायता करता है कि उनकी शिक्षण शैली छात्रों की समझ के अनुरूप है या नहीं, और आवश्यकता पड़ने पर उन्हें किस प्रकार की रणनीतिक रूप से बदलाव करने की आवश्यकता है।
एक प्रभावशाली मूल्यांकन प्रणाली शिक्षण प्रक्रिया को अधिक उद्देश्यपूर्ण, संतुलित और प्रभावी बनाती है। यह छात्रों को आत्ममूल्यांकन और सुधार के अवसर भी प्रदान करती है, जिससे उनमें आत्मविश्वास का विकास होता है। मूल्यांकन की प्रक्रिया जितनी अधिक व्यवस्थित, निष्पक्ष और उद्देश्यपूर्ण होगी, उतना ही वह शिक्षण के लक्ष्यों की प्राप्ति में सहायक सिद्ध होगी। इसके लिए मूल्यांकन प्रणाली में कुछ प्रमुख विशेषताओं का होना आवश्यक है, जैसे– विश्वसनीयता (Reliability), वैधता (Validity), वस्तुनिष्ठता (Objectivity), तुलनात्मकता (Comparability), और व्यावहारिकता (Practicability)। ये सभी गुण मिलकर मूल्यांकन को न केवल एक परिणाम देने वाली प्रक्रिया बनाते हैं, बल्कि एक सतत, रचनात्मक और सुधारात्मक प्रक्रिया के रूप में स्थापित करते हैं, जो शिक्षार्थियों के समग्र विकास में सहायक होती है।
1. विश्वसनीयता (Reliability)
विश्वसनीयता से तात्पर्य है कि मूल्यांकन प्रणाली कितनी स्थिर और एकरूप परिणाम प्रदान करती है। जब एक ही मूल्यांकन समान परिस्थितियों में बार-बार किया जाए, तो उसके परिणाम लगभग समान होने चाहिए। इसका अर्थ यह है कि मूल्यांकन अस्थायी कारकों जैसे छात्र का मानसिक तनाव, परीक्षक का मूड, या पर्यावरणीय परिस्थितियों से प्रभावित नहीं होना चाहिए। यदि किसी छात्र की एक ही विषय पर दो बार मूल्यांकन में बहुत अलग-अलग अंक आते हैं, जबकि उसकी ज्ञान-स्थिति में कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं हुआ है, तो यह मूल्यांकन की अविश्वसनीयता को दर्शाता है। विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए परीक्षा प्रश्न स्पष्ट, सुसंगत, और संतुलित होने चाहिए। साथ ही, मूल्यांकन की प्रक्रिया और अंक देने की पद्धति में एकरूपता होनी चाहिए।
2. वैधता (Validity)
वैधता मूल्यांकन प्रणाली की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता है। इसका आशय है कि मूल्यांकन कितनी सटीकता से वही माप रहा है जो उसे मापना चाहिए। यदि कोई परीक्षा बार-बार एक जैसे परिणाम देती है (यानी वह विश्वसनीय है), लेकिन वह विद्यार्थी की वास्तविक योग्यता को सही ढंग से नहीं दर्शाती, तो वह परीक्षा वैध नहीं मानी जाएगी।
वैधता के विभिन्न प्रकार होते हैं जैसे – विषयवस्तु वैधता (Content Validity), संरचनात्मक वैधता (Construct Validity) और मूल्यांकन वैधता (Criterion-related Validity)। उदाहरण के लिए, यदि गणित की परीक्षा में भाषा के कठिन शब्दों का अधिक प्रयोग हो, तो यह गणितीय समझ की जगह भाषा कौशल को आंकने लगती है। एक वैध मूल्यांकन प्रणाली पाठ्यक्रम के उद्देश्यों और सीखने के लक्ष्यों के अनुरूप होती है, जिससे छात्रों की वास्तविक समझ और क्षमताओं की सही जानकारी मिलती है।
3. वस्तुनिष्ठता (Objectivity)
वस्तुनिष्ठता का अर्थ है मूल्यांकन में परीक्षक की व्यक्तिगत राय, भावनाओं या पक्षपात का हस्तक्षेप न होना। यदि कोई मूल्यांकन प्रणाली वस्तुनिष्ठ है, तो वह सभी छात्रों के लिए निष्पक्ष और समान परिणाम देती है, चाहे मूल्यांकन करने वाला कोई भी हो। वस्तुनिष्ठता सुनिश्चित करने के लिए मूल्यांकन के स्पष्ट मानदंड, स्कोरिंग गाइडलाइन, और क्रमबद्ध मूल्यांकन संकेतक आवश्यक होते हैं। उदाहरण के लिए, निबंध लेखन का मूल्यांकन करते समय यदि अंक देने के स्पष्ट मानदंड पहले से निर्धारित हों – जैसे विषय वस्तु, भाषा, तर्क और संगठन – तो परीक्षा निष्पक्ष और वस्तुनिष्ठ होगी। इससे छात्रों में न्यायप्रियता की भावना उत्पन्न होती है और वे परीक्षा प्रणाली पर विश्वास करते हैं।
4. तुलनात्मकता (Comparability)
तुलनात्मकता का तात्पर्य है कि मूल्यांकन परिणामों को विभिन्न छात्रों, समूहों, समयों या संस्थानों के बीच आसानी से तुलना की जा सके। यह गुण शैक्षिक निर्णयों, नीति-निर्माण और प्रगति के आकलन के लिए अत्यंत आवश्यक है।
उदाहरण के लिए, यदि दो अलग-अलग स्कूलों के छात्र एक समान मानकीकृत परीक्षा में सम्मिलित होते हैं, तो उनके अंकों की तुलना कर उनकी शैक्षणिक स्थिति का मूल्यांकन किया जा सकता है। तुलनात्मकता प्राप्त करने के लिए मूल्यांकन में मानकीकृत प्रक्रिया, समान कठिनाई स्तर, एकसमान स्कोरिंग मानदंड और समान विषयवस्तु होना आवश्यक है। यदि यह गुण नहीं होगा, तो छात्रों की योग्यता का निष्पक्ष मूल्यांकन और तुलना संभव नहीं हो पाएगी।
5. व्यावहारिकता (Practicability)
व्यावहारिकता का तात्पर्य है कि मूल्यांकन प्रणाली कितनी आसानी से और कुशलता से लागू की जा सकती है। यदि कोई मूल्यांकन प्रक्रिया अत्यधिक जटिल, समय-साध्य या खर्चीली हो, तो वह व्यावहारिक नहीं मानी जाती, चाहे वह कितनी भी सटीक क्यों न हो। एक व्यावहारिक मूल्यांकन प्रणाली वह होती है जो सीमित संसाधनों में सरलता से बनाई, संचालित, जांची और विश्लेषित की जा सके। इसके अंतर्गत परीक्षा का समय, स्थान, संसाधनों की उपलब्धता, परीक्षकों की संख्या और छात्रों की संख्या जैसे तत्वों पर विचार किया जाता है। व्यावहारिक मूल्यांकन नियमित और समयबद्ध फीडबैक देने में सक्षम होता है, जिससे शिक्षण और सीखने की प्रक्रिया सतत और प्रभावशाली बनती है।
निष्कर्ष (Conclusion)
इस प्रकार, एक प्रभावी और गुणवत्तापूर्ण मूल्यांकन प्रणाली उन मूलभूत विशेषताओं पर आधारित होनी चाहिए जो इसकी विश्वसनीयता, वैधता, वस्तुनिष्ठता, तुलनात्मकता और व्यावहारिकता सुनिश्चित करें। ये गुण मिलकर मूल्यांकन को न केवल सटीक बनाते हैं, बल्कि इसे शिक्षण और अधिगम के प्रति एक शक्तिशाली उपकरण बना देते हैं। जब ये सभी विशेषताएँ किसी मूल्यांकन प्रणाली में विद्यमान होती हैं, तो शिक्षक छात्रों की प्रगति का सटीक आकलन कर पाते हैं, और छात्र अपने प्रदर्शन को समझकर आत्मसुधार की दिशा में अग्रसर हो सकते हैं। यह मूल्यांकन को केवल परिणाम तक सीमित न रखकर, एक निरंतर सुधार की प्रक्रिया में परिवर्तित कर देता है।
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