Rajasthan State Textbook Board राजस्थान पाठ्यपुस्तक बोर्ड
परिचय:
राजस्थान पाठ्यपुस्तक बोर्ड की स्थापना वर्ष 1973 में राज्य सरकार द्वारा की गई थी, जिसका उद्देश्य राज्य में स्कूली छात्रों के लिए उपयुक्त, गुणवत्तापूर्ण और सस्ती पाठ्यपुस्तकों का निर्माण, प्रकाशन और वितरण करना है। यह बोर्ड शिक्षा विभाग, राजस्थान सरकार के अंतर्गत संचालित होता है और इसका मुख्यालय अजमेर में स्थित है। प्रारंभिक रूप से इसकी स्थापना शिक्षा के सार्वभौमिकरण और समानता को ध्यान में रखते हुए की गई थी ताकि प्रदेश के प्रत्येक कोने में पढ़ रहे विद्यार्थियों को समय पर पाठ्य सामग्री प्राप्त हो सके। वर्तमान समय में बोर्ड न केवल कक्षा 1 से 12वीं तक की पुस्तकें प्रकाशित करता है, बल्कि डिजिटल युग की आवश्यकताओं के अनुरूप ऑनलाइन संसाधनों की भी सुविधा उपलब्ध करा रहा है।
मुख्य उद्देश्य:
1. गुणवत्तापूर्ण पाठ्यपुस्तकों का निर्माण:
राजस्थान पाठ्यपुस्तक बोर्ड का एक प्रमुख उद्देश्य विद्यार्थियों के स्तर और उनकी सीखने की आवश्यकताओं के अनुरूप उच्च गुणवत्ता वाली पाठ्यपुस्तकों का निर्माण करना है। इसके लिए विषय विशेषज्ञों, शिक्षाशास्त्रियों, अनुभवी शिक्षकों तथा बाल मनोवैज्ञानिकों की मदद ली जाती है ताकि पुस्तकें शैक्षणिक दृष्टिकोण से प्रभावशाली, भाषा की दृष्टि से सरल और प्रस्तुति की दृष्टि से आकर्षक हों। इन पुस्तकों में स्थानीय संदर्भों को भी समाहित किया जाता है जिससे छात्र अपनी संस्कृति, परंपरा और सामाजिक जीवन से जुड़ाव महसूस कर सकें।
2. सस्ती दरों पर पुस्तकें उपलब्ध कराना:
शिक्षा का अधिकार तभी साकार हो सकता है जब शिक्षा की सामग्रियाँ सभी विद्यार्थियों के लिए सुलभ हों। इसी उद्देश्य से बोर्ड द्वारा पाठ्यपुस्तकों को न्यूनतम लागत पर विद्यार्थियों तक पहुँचाने का कार्य किया जाता है। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के विद्यार्थियों के लिए सरकार द्वारा निःशुल्क वितरण की योजनाएँ भी चलाई जाती हैं। इसके अतिरिक्त, थोक दरों पर मुद्रण और वितरण द्वारा उत्पादन लागत को कम किया जाता है, जिससे सभी वर्गों को लाभ हो सके।
3. समय पर वितरण सुनिश्चित करना:
हर शैक्षणिक सत्र की शुरुआत में विद्यार्थियों को पाठ्यपुस्तकों की समय पर उपलब्धता अत्यंत आवश्यक होती है, ताकि शिक्षण-प्रक्रिया बिना किसी विलंब के आरंभ हो सके। इस आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए बोर्ड समयबद्ध योजना के तहत पुस्तक निर्माण, मुद्रण, भंडारण और वितरण करता है। राज्य के हर जिले और उपखंड में वितरण केंद्र स्थापित किए गए हैं जो सुनिश्चित करते हैं कि प्रत्येक स्कूल तक समय से पुस्तकें पहुँच सकें।
मुख्य कार्य:
1. पाठ्यपुस्तकों का लेखन एवं संपादन:
बोर्ड द्वारा विभिन्न कक्षाओं के लिए पाठ्यपुस्तकों की सामग्री को तैयार करने के लिए विषय विशेषज्ञों की समिति गठित की जाती है। ये समितियाँ नवीनतम शैक्षिक नीतियों, राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (NCF), और विद्यार्थियों की मानसिक व बौद्धिक क्षमताओं को ध्यान में रखकर पाठ्यसामग्री तैयार करती हैं। इसके पश्चात संपादन प्रक्रिया में भाषा की स्पष्टता, विचारों की क्रमबद्धता और विषय की सटीकता सुनिश्चित की जाती है।
2. पुस्तकों का मुद्रण और प्रकाशन:
प्रस्तावित पाठ्यपुस्तकों को बड़े स्तर पर छापने के लिए आधुनिक मुद्रण तकनीकों का प्रयोग किया जाता है। मुद्रण की गुणवत्ता सुनिश्चित करने हेतु प्रूफ रीडिंग और परीक्षण प्रतियों की समीक्षा की जाती है। इसके बाद पुस्तकों को आकर्षक और टिकाऊ स्वरूप में प्रकाशित कर राज्यभर में भेजा जाता है।
3. भंडारण एवं वितरण का कार्य:
राजस्थान के विभिन्न जिलों में स्थित वितरण केंद्रों के माध्यम से पुस्तकों का भंडारण और स्कूलों तक पहुँचाने का कार्य किया जाता है। इस प्रक्रिया में जिला शिक्षा अधिकारियों, ब्लॉक शिक्षा अधिकारियों और विद्यालय प्रधानाचार्यों की सहायता ली जाती है। समयबद्ध वितरण की निगरानी एक विशेष तंत्र के माध्यम से की जाती है जिससे कोई विद्यालय या विद्यार्थी पुस्तक से वंचित न रहे।
4. डिजिटल पुस्तक सुविधा:
राज्य में डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देने हेतु बोर्ड ने अपनी वेबसाइट पर कक्षा 1 से 12वीं तक की पाठ्यपुस्तकों की ई-बुक्स और पीडीएफ स्वरूप में मुफ्त उपलब्धता सुनिश्चित की है। इससे छात्र, शिक्षक एवं अभिभावक कभी भी और कहीं भी पुस्तकों का उपयोग कर सकते हैं। यह सुविधा विशेष रूप से दूर-दराज और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले विद्यार्थियों के लिए अत्यंत लाभकारी है जहाँ कभी-कभी भौतिक पुस्तकें समय पर नहीं पहुँच पातीं।
5. विशेष योजनाएँ और समावेशी शिक्षा:
बोर्ड द्वारा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यक वर्ग, आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग तथा बालिकाओं के लिए निःशुल्क पुस्तक वितरण की योजनाओं का संचालन किया जाता है। यह प्रयास शिक्षा में समानता, समावेशिता और सामाजिक न्याय की दिशा में अत्यंत महत्वपूर्ण सिद्ध होता है।
नवाचार और तकनीकी प्रयोग:
राजस्थान पाठ्यपुस्तक बोर्ड ने समय के साथ नवाचार और तकनीकी विकास को अपनाया है। ई-पुस्तकें (E-books), मोबाइल फ्रेंडली पोर्टल, शिक्षकों के लिए ऑनलाइन प्रशिक्षण सामग्री, और अभिभावकों के लिए मार्गदर्शिका जैसी सुविधाएँ इसमें शामिल हैं। साथ ही शिकायत निवारण के लिए ऑनलाइन फ़ॉर्म और ट्रैकिंग सिस्टम भी उपलब्ध कराए गए हैं जिससे पाठ्यपुस्तकों से जुड़ी समस्याओं का समाधान समय पर किया जा सके। यह तकनीकी एकीकरण शिक्षा को अधिक पारदर्शी, उत्तरदायी और सुगम बनाता है।
निष्कर्ष:
राजस्थान पाठ्यपुस्तक बोर्ड राज्य की स्कूली शिक्षा प्रणाली का एक आधार स्तंभ है जो विद्यार्थियों को गुणवत्ता से भरपूर एवं सुलभ पाठ्यसामग्री उपलब्ध कराने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह संस्था शिक्षा के अधिकार को साकार करने में सहायक सिद्ध होती है और सामाजिक समरसता, समावेशिता और नवाचार को बढ़ावा देती है। तकनीकी प्रगति के साथ जुड़कर यह बोर्ड आज केवल पाठ्यपुस्तकों का उत्पादक नहीं रहा, बल्कि यह आधुनिक शिक्षा प्रणाली का एक समर्थक और संवाहक बन चुका है।
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