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Functions of RIE, SIERT, SBER, CTE, and DIET आरआईई, एसआईईआरटी, एसबीईआर, सीटीई और डाइट के कार्य

परिचय (Introduction)

भारत का शैक्षिक ढांचा बहुस्तरीय और विविधतापूर्ण है, जिसे राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर कार्यरत विभिन्न शैक्षिक संस्थानों द्वारा सुदृढ़ किया गया है। ये संस्थाएं न केवल शिक्षकों को प्रशिक्षित करने का कार्य करती हैं, बल्कि पाठ्यक्रम विकास, शैक्षिक अनुसंधान, मूल्यांकन, नीति निर्माण और शिक्षा के स्तर को सुधारने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इन संस्थाओं में प्रमुख हैं – रीजनल इंस्टिट्यूट ऑफ एजुकेशन (RIE), स्टेट इंस्टिट्यूट ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (SIERT), स्टेट ब्यूरो ऑफ एजुकेशनल रिसर्च (SBER), कॉलेज ऑफ टीचर एजुकेशन (CTE) और डिस्ट्रिक्ट इंस्टिट्यूट ऑफ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग (DIET)। यद्यपि इनकी कार्यप्रणाली और दायित्व भिन्न हैं, फिर भी इनका सामूहिक उद्देश्य एक ही है – शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार और एक सक्षम, संवेदनशील तथा प्रशिक्षित शिक्षक वर्ग का निर्माण।

1. क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान (Regional Institute of Education - RIE)

रीजनल इंस्टिट्यूट ऑफ एजुकेशन (RIE), राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) के अधीन स्वायत्त निकाय हैं जो विभिन्न क्षेत्रों में उच्च स्तरीय शिक्षक शिक्षा और शैक्षिक विकास के कार्यों को संचालित करते हैं। भारत में वर्तमान में अजमेर, भोपाल, भुवनेश्वर, मैसूर और शिलांग में पांच आरआईई कार्यरत हैं। इन संस्थानों का उद्देश्य स्कूल स्तर की शिक्षा को वैज्ञानिक, समावेशी और आधुनिक बनाने हेतु शिक्षकों को तैयार करना तथा शोध आधारित अकादमिक सहयोग देना है।

मुख्य कार्य:

पूर्व-सेवा शिक्षक शिक्षा: आरआईई बी.एड., एम.एड., बी.ए.-बी.एड., बी.एससी.-बी.एड. जैसे एकीकृत एवं उच्च गुणवत्ता के प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाते हैं, जिससे शिक्षकों को विषयवस्तु और शिक्षण कौशल दोनों का व्यावसायिक प्रशिक्षण मिल सके।

सेवा में प्रशिक्षण: इन संस्थानों द्वारा कार्यरत शिक्षकों, प्रधानाध्यापकों और शैक्षिक प्रशासकों हेतु समय-समय पर पुनः प्रशिक्षण, अभिविन्यास एवं कार्यशालाएं आयोजित की जाती हैं।

पाठ्यक्रम विकास: RIE राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (NCF) के अनुरूप पाठ्यपुस्तकें और शिक्षण सामग्री के विकास में NCERT को क्षेत्रीय आधार पर सहयोग करते हैं।

शैक्षिक अनुसंधान: ये संस्थान शिक्षण अधिगम प्रक्रिया, मूल्यांकन तकनीकों, नवाचारों और नीति निर्माण से जुड़े शैक्षिक शोधों को प्रोत्साहित करते हैं।

क्षमता निर्माण: RIE अन्य अकादमिक संस्थानों जैसे डाइट, एससीईआरटी आदि को प्रशिक्षित करने और उन्हें शैक्षिक दिशा देने का कार्य भी करते हैं।

2. राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान (State Institute of Educational Research and Training - SIERT)

SIERT राज्य स्तर की एक प्रमुख शैक्षिक संस्था है, जो राज्य के भीतर पाठ्यक्रम विकास, शिक्षक प्रशिक्षण और शैक्षिक गुणवत्ता की निगरानी हेतु उत्तरदायी है। यह संस्थान राज्य सरकार की शिक्षा नीति को कार्यरूप प्रदान करता है और जिला स्तर की इकाइयों जैसे डाइट को दिशा-निर्देश और अकादमिक समर्थन देता है।

मुख्य कार्य:

पाठ्यक्रम और सामग्री विकास: SIERT राज्य के सामाजिक-सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य को ध्यान में रखते हुए पाठ्यक्रम, पाठ्यपुस्तकें, शिक्षक पुस्तिकाएं और सहायक शिक्षण सामग्री का विकास करता है।

प्रशिक्षण कार्यक्रमों का संचालन: यह संस्था पूर्व-सेवा एवं सेवा-कालीन शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों का नियोजन एवं क्रियान्वयन करती है, जिसमें शिक्षकों को नई शिक्षण विधियों और तकनीकों से परिचित कराया जाता है।

शोध और मूल्यांकन: SIERT विभिन्न शैक्षिक पहलों, शिक्षण परिणामों, और अधिगम स्तरों के मूल्यांकन हेतु शोध अध्ययन करता है।

डाइट को सहयोग: डाइट संस्थानों को पाठ्यक्रम कार्यान्वयन, प्रशिक्षण कार्यक्रमों और नवाचारों के संदर्भ में मार्गदर्शन एवं सहयोग प्रदान करना SIERT का एक अहम कार्य है।

शैक्षिक योजनाओं का क्रियान्वयन: यह संस्थान समग्र शिक्षा अभियान जैसी केंद्र सरकार की योजनाओं के राज्य स्तर पर क्रियान्वयन, निगरानी और रिपोर्टिंग का दायित्व निभाता है।

3. राज्य शैक्षिक अनुसंधान ब्यूरो (State Bureau of Educational Research - SBER)

SBER कुछ राज्यों में एक स्वतंत्र शैक्षिक अनुसंधान निकाय के रूप में कार्य करता था, परंतु वर्तमान में इसे कई राज्यों में SCERT या SIERT में सम्मिलित कर दिया गया है। जहाँ यह संस्था अब भी कार्यरत है, वहाँ यह शैक्षिक अनुसंधान, प्रशिक्षण और मूल्यांकन के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

मुख्य कार्य:

शैक्षिक अनुसंधान: SBER राज्य स्तर पर व्यापक शैक्षिक सर्वेक्षण, नवाचारों की पहचान और कार्यान्वयन तथा नीति-निर्धारण हेतु आंकड़ों का विश्लेषण करता है।

प्रशिक्षण में सहयोग: यह संस्था विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों हेतु अकादमिक सामग्री तैयार करती है और प्रशिक्षकों को प्रशिक्षित भी करती है।

मूल्यांकन उपकरणों का विकास: छात्रों की उपलब्धियों, शिक्षकों के प्रदर्शन और संस्थागत दक्षता को आंकने हेतु विभिन्न उपकरण और संकेतक विकसित करता है।

संसाधन निर्माण: SBER शिक्षकों के लिए कार्यपुस्तिकाएं, गाइडबुक्स और शैक्षिक नवाचारों पर आधारित सामग्री तैयार करता है।


नोट: वर्तमान में अधिकांश राज्यों में SBER का कार्य SIERT या SCERT के तहत समाहित कर दिया गया है।

4. शिक्षक शिक्षा महाविद्यालय (College of Teacher Education - CTE)

CTE वे संस्थान हैं जो माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए विशेष रूप से कार्य करते हैं। इनका उद्देश्य स्कूल शिक्षा में गुणवत्ता बढ़ाने के लिए व्यावसायिक रूप से दक्ष और नवाचारों से लैस शिक्षक तैयार करना होता है।

मुख्य कार्य:

पूर्व-सेवा प्रशिक्षण: बी.एड. और एम.एड. जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से भावी शिक्षकों को विषयगत ज्ञान और शैक्षिक कौशल प्रदान करना।

सेवा में प्रशिक्षण: कार्यरत शिक्षकों के लिए नवीन शिक्षण विधियों, मूल्यांकन तकनीकों, ICT आधारित शिक्षण आदि पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना।

नवाचारों का कार्यान्वयन: शिक्षा क्षेत्र में नई पद्धतियों को अपनाने और विद्यालयों में उनके सफल प्रयोग हेतु सहयोग करना।

शैक्षिक अनुसंधान: शिक्षण-प्रशिक्षण से संबंधित समस्याओं, कक्षा व्यवहार और छात्र प्रेरणा जैसे विषयों पर अनुसंधान करना।

संसाधन केंद्र: यह संस्था आसपास के स्कूलों को शिक्षण सामग्री, मॉडल पाठ योजनाएं, और अकादमिक सहायता प्रदान करने का कार्य करती है।

5. जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (District Institute of Education and Training - DIET)

DIET जिला स्तर की संस्था है जिसे राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 के तहत स्थापित किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्तर के शिक्षकों को प्रशिक्षण देना और शैक्षिक नवाचारों को स्थानीय स्तर पर लागू करना है।

मुख्य कार्य:

पूर्व-सेवा प्रशिक्षण: डाइट संस्थानों में D.El.Ed. (Diploma in Elementary Education) कार्यक्रम संचालित होता है, जो प्राथमिक स्तर के शिक्षकों को तैयार करता है।

सेवा में प्रशिक्षण: कार्यरत शिक्षकों, प्रधानाध्यापकों, और खंड शिक्षा अधिकारियों हेतु विषय आधारित एवं समग्र प्रशिक्षण कार्यशालाओं का आयोजन किया जाता है।

शोध एवं नवाचार: ये संस्थान कार्यवाही शोध, स्थानीय नवाचारों एवं विद्यालय सुधार योजनाओं के विकास एवं कार्यान्वयन में सक्रिय भूमिका निभाते हैं।

पाठ्यक्रम अनुकूलन: स्थानीय सामाजिक, भाषाई और सांस्कृतिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए पाठ्यक्रमों में आवश्यक परिवर्तन करने में सहायक होते हैं।

सामुदायिक सहभागिता: स्कूल-कम्युनिटी भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए अभिभावकों, पंचायतों एवं स्थानीय निकायों को शिक्षा से जोड़ने के प्रयास करता है।

निगरानी एवं सहयोग: विद्यालयों का सतत निरीक्षण, शिक्षण-शिक्षण प्रक्रिया का मूल्यांकन तथा शिक्षकों को सहयोगात्मक प्रतिक्रिया देना।

निष्कर्ष (Conclusion)

उपरोक्त सभी संस्थान – RIE, SIERT, SBER, CTE, और DIET – मिलकर भारत की शैक्षिक संरचना को मजबूत आधार प्रदान करते हैं। ये न केवल शिक्षक शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत हैं, बल्कि पाठ्यक्रम विकास, मूल्यांकन, अनुसंधान और शैक्षिक नवाचारों के माध्यम से पूरे शैक्षिक तंत्र को सशक्त बनाते हैं। जब इन संस्थानों को पर्याप्त संसाधन, अकादमिक स्वायत्तता और तकनीकी सहयोग प्राप्त होता है, तो ये शिक्षा व्यवस्था में गुणात्मक परिवर्तन लाने में सक्षम हो जाते हैं। 21वीं सदी की वैश्विक शिक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए इन संस्थानों को सशक्त और सक्रिय बनाना अत्यंत आवश्यक है।

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