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Information Communication Technology (ICT) and Teaching सूचना संप्रेषण तकनीकी (आई सी टी) और शिक्षण

प्रस्तावना

वर्तमान युग तकनीकी क्रांति का युग है जहाँ सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) ने जीवन के हर क्षेत्र को गहराई से प्रभावित किया है। शिक्षा के क्षेत्र में इसका आगमन एक परिवर्तनकारी चरण की शुरुआत का संकेत है। पारंपरिक शिक्षा प्रणाली जो chalk-and-talk पद्धति पर आधारित थी, अब ICT की सहायता से बहुआयामी, संवादात्मक और सृजनात्मक बनती जा रही है। अब शिक्षक केवल ज्ञान के प्रदाता न रहकर, एक मार्गदर्शक, सहयोगी और डिजिटल संसाधनों के संचालक की भूमिका निभा रहे हैं। ICT ने शिक्षा को सीमाओं से मुक्त कर दिया है – अब स्थान, समय और संसाधनों की कमी सीखने की प्रक्रिया को रोक नहीं सकती। यह विद्यार्थियों को आत्मनिर्भर, नवाचारी और तकनीकी रूप से सशक्त बनाता है। इस लेख के माध्यम से हम ICT की अवधारणा, शिक्षण में इसकी भूमिका, लाभ, चुनौतियाँ और इसके प्रभावी उपयोग के उपायों पर विस्तृत चर्चा करेंगे।

ICT का आशय

ICT यानी Information and Communication Technology, एक समावेशी शब्द है जो सूचना के एकत्रीकरण, प्रसारण, विश्लेषण और भंडारण से जुड़ी विभिन्न डिजिटल तकनीकों को सम्मिलित करता है। इसमें कंप्यूटर, स्मार्टफोन, टैबलेट, इंटरनेट, ई-मेल, मल्टीमीडिया, वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग, प्रोजेक्टर, डिजिटल बोर्ड, शैक्षणिक एप्स, ई-बुक्स और क्लाउड स्टोरेज जैसी तकनीकें आती हैं। ये सभी संसाधन जानकारी को तेजी से और प्रभावशाली ढंग से लोगों तक पहुँचाने का कार्य करते हैं। ICT केवल एक तकनीकी माध्यम नहीं है, बल्कि यह शिक्षा को ज्ञान के पारंपरिक सीमाओं से परे ले जाकर छात्रों को वैश्विक नागरिक बनने की दिशा में प्रेरित करता है। यह छात्रों को जिज्ञासु, खोजी और समाधान केंद्रित सोच विकसित करने में मदद करता है। ICT की सहायता से शिक्षक भी अपने शिक्षण को रचनात्मक और व्यक्तिगत आवश्यकताओं के अनुकूल बना सकते हैं।

शिक्षण में ICT की भूमिका

शिक्षण की प्रक्रिया में ICT की भूमिका बहुआयामी है। यह केवल एक सहायक उपकरण नहीं, बल्कि एक ऐसा सशक्त माध्यम है जो शिक्षा की संपूर्ण प्रक्रिया को नया रूप देता है। पारंपरिक शिक्षण में शिक्षक केन्द्र में होता है और छात्र अधिकतर निष्क्रिय श्रोता होते हैं, परंतु ICT के माध्यम से शिक्षण प्रक्रिया छात्र-केंद्रित बन जाती है। स्मार्ट क्लासरूम, मल्टीमीडिया प्रस्तुतियाँ, इंटरेक्टिव सॉफ़्टवेयर और ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म्स छात्रों को सक्रिय रूप से विषयवस्तु से जोड़ते हैं। शिक्षक अब केवल विषय का व्याख्यान नहीं देते, बल्कि वीडियो, एनिमेशन, लाइव डेमोंस्ट्रेशन और डिजिटल संसाधनों के माध्यम से जटिल अवधारणाओं को सरल और प्रभावशाली ढंग से समझाते हैं। इससे छात्रों की कल्पनाशक्ति, विश्लेषणात्मक क्षमता और रचनात्मकता में भी वृद्धि होती है। ICT से शिक्षण प्रक्रिया न केवल रोचक होती है, बल्कि सीखने की दर और अवधारणात्मक स्पष्टता भी बेहतर होती है।

ICT आधारित शिक्षण के लाभ

ICT आधारित शिक्षण कई स्तरों पर लाभकारी सिद्ध होता है। सबसे पहले, यह शिक्षण को पारंपरिक एक-मार्गीय संप्रेषण की बजाय द्विपक्षीय संवाद में बदल देता है, जिससे छात्र केवल जानकारी प्राप्त करने वाले नहीं, बल्कि सीखने की प्रक्रिया में सक्रिय भागीदार बन जाते हैं। ICT छात्रों को उनकी गति और क्षमताओं के अनुसार सीखने की स्वतंत्रता देता है। धीमी गति से सीखने वाले छात्र रिकॉर्डेड लेक्चर या ई-लर्निंग टूल्स के माध्यम से पुनः अध्ययन कर सकते हैं, जबकि तीव्र गति से सीखने वाले छात्र उन्नत सामग्री तक पहुँच सकते हैं। दूसरा, ICT से छात्रों में आत्म-अनुशासन, डिजिटल साक्षरता, शोध करने की प्रवृत्ति और तकनीकी समझ विकसित होती है। तीसरा, यह मूल्यांकन को अधिक प्रभावशाली बनाता है – जैसे ऑनलाइन टेस्ट, क्विज़, प्रोजेक्ट बेस्ड मूल्यांकन आदि। इसके अलावा, ICT शिक्षा में पारदर्शिता, समय की बचत, सहयोगात्मक अधिगम और जीवनपर्यंत सीखने के अवसर प्रदान करता है। यह विशेष रूप से दिव्यांग, ग्रामीण, सीमांत और वंचित वर्ग के छात्रों के लिए शिक्षा को अधिक समावेशी और समान बनाता है।

ICT के प्रभावी उपयोग के लिए आवश्यक उपाय

हालाँकि ICT में शिक्षा को रूपांतरित करने की अपार संभावनाएँ हैं, किंतु इसके प्रभावी उपयोग के लिए कुछ आवश्यक उपायों और शर्तों का पालन करना आवश्यक है। सर्वप्रथम, शिक्षकों को तकनीकी प्रशिक्षण प्रदान करना अत्यावश्यक है। यदि शिक्षक ही डिजिटल उपकरणों का प्रयोग नहीं कर पाएंगे, तो ICT संसाधनों की उपस्थिति का कोई औचित्य नहीं रह जाएगा। शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों में डिजिटल शिक्षण कौशल, ई-सामग्री निर्माण, ऑनलाइन मूल्यांकन उपकरणों का उपयोग और साइबर सुरक्षा संबंधी जागरूकता सम्मिलित होनी चाहिए। दूसरा, स्कूलों और कॉलेजों में उच्च गुणवत्ता वाली तकनीकी अधोसंरचना जैसे हाई-स्पीड इंटरनेट, कंप्यूटर लैब, स्मार्ट बोर्ड, डिजिटल पुस्तकालय और शिक्षण सॉफ्टवेयर की सुविधा होनी चाहिए। तीसरा, पाठ्यक्रम में ICT का एकीकृत समावेश किया जाना चाहिए ताकि विद्यार्थी डिजिटल टूल्स को शिक्षा का अनिवार्य हिस्सा मान सकें। चौथा, छात्रों को नैतिक डिजिटल आचरण, गोपनीयता, साइबर खतरों से बचाव और सूचना की विश्वसनीयता के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए। यदि यह उपाय अपनाए जाएँ, तो ICT शिक्षा के क्षेत्र में एक शक्तिशाली क्रांति ला सकता है।

निष्कर्ष

ICT और शिक्षण का मेल आधुनिक शिक्षा की रीढ़ बन चुका है। यह शिक्षण को केवल सूचना देने की प्रक्रिया न बनाकर, अनुभव आधारित, रचनात्मक और संवादात्मक प्रक्रिया बनाता है। इसके माध्यम से छात्रों को न केवल ज्ञान प्राप्त होता है, बल्कि वे 21वीं सदी के कौशलों से युक्त होकर भविष्य के लिए तैयार होते हैं। ICT से शिक्षा का क्षेत्र अधिक सुलभ, लचीला, समावेशी और गुणवत्तापूर्ण हो गया है। शिक्षकों, छात्रों, नीति निर्माताओं और समाज को मिलकर ICT को एक सकारात्मक शक्ति के रूप में अपनाना चाहिए। यदि इसके उपयोग में समता, सुलभता और नैतिकता का ध्यान रखा जाए, तो यह न केवल शैक्षणिक उत्कृष्टता, बल्कि सामाजिक न्याय और समग्र विकास की दिशा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। ICT वह सेतु है जो शिक्षा को सीमाओं से मुक्त करके उसे एक वैश्विक मंच प्रदान करता है।

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