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Role of ICT in Learning Enhancement सीखने में आईसीटी की भूमिका

परिचय (Introduction)

आज के वैश्वीकरण और डिजिटल युग में शिक्षा का स्वरूप निरंतर परिवर्तित हो रहा है। ऐसे समय में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) ने न केवल शिक्षण और अधिगम की पारंपरिक परिभाषाओं को पुनः परिभाषित किया है, बल्कि सीखने के अनुभव को अधिक सार्थक, सहभागितापूर्ण और व्यक्तिगत भी बना दिया है। ICT का दायरा अत्यधिक व्यापक है, जिसमें कंप्यूटर, स्मार्टफोन, इंटरनेट, डिजिटल प्रोजेक्टर, शैक्षिक सॉफ्टवेयर, ऑनलाइन पाठ्यक्रम, वेबकास्ट, डिजिटल लाइब्रेरी, और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे संसाधन शामिल हैं। इन उपकरणों की सहायता से छात्र कहीं भी, कभी भी, अपनी सुविधा के अनुसार सीख सकते हैं। इसके अतिरिक्त, ICT ने शिक्षा में एक समावेशी और समान अवसर वाला माहौल तैयार करने की दिशा में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। अब ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के छात्रों के बीच की दूरी घटती जा रही है, क्योंकि दोनों ही वर्ग के छात्र गुणवत्तापूर्ण शैक्षिक सामग्री तक पहुँच प्राप्त कर सकते हैं। ICT आधारित शिक्षा मॉडल शिक्षकों को भी अधिक सशक्त बनाता है, क्योंकि वे नवीनतम तकनीकी साधनों की मदद से जटिल अवधारणाओं को सरल, व्यावहारिक और आकर्षक ढंग से प्रस्तुत कर सकते हैं। इसके साथ ही, डिजिटल लर्निंग 21वीं सदी के आवश्यक कौशलों जैसे—समस्या समाधान, विश्लेषणात्मक और आलोचनात्मक सोच, रचनात्मकता, सहयोग और डिजिटल लिटरेसी के विकास में भी सहायक सिद्ध हो रही है। बदलते समय के साथ जब पारंपरिक कक्षाओं की सीमाएं स्पष्ट होती जा रही हैं, तो ICT शिक्षा को सीमाओं से परे ले जाकर ज्ञान के लोकतंत्रीकरण की दिशा में कार्य कर रही है। इस प्रकार, ICT न केवल एक तकनीकी साधन है, बल्कि यह एक शक्तिशाली शैक्षिक परिवर्तनकारी उपकरण बन चुका है, जो शिक्षा की गुणवत्ता, पहुँच और प्रभाव को एक नई दिशा प्रदान कर रहा है।

ICT की भूमिका निम्न प्रकार समझ सकते हैं - 

1. जानकारी तक पहुँच बढ़ाना (Enhancing Access to Information)

ICT छात्रों की जानकारी तक पहुँच को बहुत हद तक बढ़ाता है। इंटरनेट के माध्यम से छात्र विश्वभर की अकादमिक सामग्री तक पहुँच सकते हैं। डिजिटल पुस्तकालय, शैक्षिक वेबसाइटें, ई-पुस्तकें, शोध पत्र और मल्टीमीडिया संसाधन विविध विषयों की जानकारी प्रदान करते हैं। यह स्वतंत्र अध्ययन की सुविधा प्रदान करता है और छात्रों को पाठ्यपुस्तकों से परे जाकर गहराई से समझने में मदद करता है। ग्रामीण या पिछड़े क्षेत्रों के छात्र भी अब गुणवत्तापूर्ण सामग्री तक पहुँच सकते हैं, जिससे शिक्षा में समानता और समावेशन को बढ़ावा मिलता है। ICT भौगोलिक और आर्थिक बाधाओं को तोड़ता है।

2. सहभागितापूर्ण और रोचक शिक्षण को बढ़ावा देना (Promoting Interactive and Engaging Learning)

पारंपरिक शिक्षण विधियाँ अक्सर एकतरफा जानकारी प्रदान करती हैं जिससे छात्रों में रुचि की कमी हो सकती है। ICT उपकरण जैसे—इंटरएक्टिव व्हाइटबोर्ड, शैक्षिक ऐप्स, मल्टीमीडिया प्रस्तुतियाँ, सिमुलेशन और वर्चुअल रियलिटी—सीखने को रोचक और इंटरएक्टिव बनाते हैं। ये विभिन्न प्रकार के शिक्षण शैलियों—दृश्य, श्रवण और क्रियात्मक—को ध्यान में रखते हुए शिक्षण को अधिक प्रभावी और व्यक्तिगत बनाते हैं। यह तरीका छात्रों को सक्रिय रूप से भाग लेने, सहकर्मियों के साथ मिलकर कार्य करने और व्यावहारिक परिप्रेक्ष्य में सीखने के लिए प्रेरित करता है।

3. सहयोगात्मक शिक्षण को बढ़ावा देना (Supporting Collaborative Learning)

ICT शिक्षकों और छात्रों के बीच सहयोग को बढ़ावा देता है। ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म जैसे—लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम्स (LMS), डिस्कशन फोरम, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग उपकरण और साझा दस्तावेज़ (जैसे गूगल डॉक्स)—छात्रों को समूह में कार्य करने, विचार साझा करने और समय पर प्रतिक्रिया देने में सक्षम बनाते हैं। यह सामाजिक सहभागिता और टीमवर्क को बढ़ावा देता है जो समग्र विकास के लिए आवश्यक है। शिक्षक भी इन प्लेटफ़ॉर्म्स के माध्यम से चर्चाओं का नेतृत्व कर सकते हैं और गहन समझ विकसित कर सकते हैं।

4. व्यक्तिगत शिक्षण में सहायक (Facilitating Personalized Learning)

ICT की एक प्रमुख विशेषता यह है कि यह व्यक्तिगत अध्ययन को समर्थन प्रदान करता है। अनुकूलनशील शिक्षण सॉफ्टवेयर और इंटेलिजेंट ट्यूटर सिस्टम्स छात्रों के प्रदर्शन का विश्लेषण कर उनकी आवश्यकताओं के अनुसार शिक्षण सामग्री प्रदान करते हैं। ये उपकरण कठिनाई के स्तर को समायोजित करते हैं, त्वरित फीडबैक देते हैं और उपयुक्त संसाधन प्रदान करते हैं। इससे छात्र अपनी गति से सीख सकते हैं और जहां कठिनाई हो वहां अधिक अभ्यास कर सकते हैं। इससे आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास भी बढ़ता है।

5. जीवन भर के सीखने को बढ़ावा देना (Enabling Lifelong Learning)

ICT आजीवन सीखने की अवधारणा को सशक्त करता है, जो तेज़ी से बदलते युग में आवश्यक हो गया है। ऑनलाइन कोर्स, ओपन एजुकेशनल रिसोर्सेस (OER), और MOOCs (Massive Open Online Courses) जैसे प्लेटफ़ॉर्म हर उम्र के शिक्षार्थियों को नई जानकारी और कौशल अर्जित करने का अवसर देते हैं। ये लचीलापनपूर्ण विकल्प व्यस्त पेशेवरों, गृहिणियों और गैर-पारंपरिक शिक्षार्थियों के लिए शिक्षा को सुलभ बनाते हैं। ICT की मदद से शिक्षा किसी संस्था या उम्र तक सीमित नहीं रह जाती, बल्कि यह सतत प्रक्रिया बन जाती है।

6. मूल्यांकन और प्रतिक्रिया की प्रक्रिया में सुधार (Enhancing Assessment and Feedback)

ICT उपकरण मूल्यांकन की प्रक्रिया को भी प्रभावी बनाते हैं। ऑनलाइन टेस्ट, ई-असेसमेंट्स और स्वचालित मूल्यांकन प्रणाली छात्रों की समझ का त्वरित मूल्यांकन कर सकते हैं। शिक्षक छात्रों की प्रगति का विश्लेषण कर सकते हैं और शिक्षण रणनीतियों में सुधार कर सकते हैं। डिजिटल पोर्टफोलियो और मूल्यांकन ऐप्स छात्रों को आत्मचिंतन और उपलब्धियों को दर्शाने में मदद करते हैं। समय पर और रचनात्मक फीडबैक छात्रों को अपनी गलतियों को समझने और आगे सुधार करने में सहायता करता है।

निष्कर्ष (Conclusion)

शिक्षा में ICT का एकीकरण शिक्षण और अधिगम की प्रक्रिया को वैश्विक स्तर पर बदल रहा है। जानकारी तक पहुँच बढ़ाने, रोचक शिक्षण को प्रोत्साहित करने, सहयोग को बढ़ावा देने, व्यक्तिगत अध्ययन को समर्थन देने, आजीवन शिक्षा को संभव बनाने और मूल्यांकन में सुधार के माध्यम से ICT छात्रों और शिक्षकों—दोनों को सशक्त करता है। हालाँकि, इसके प्रभाव को पूर्ण रूप से प्राप्त करने के लिए यह आवश्यक है कि डिजिटल अवसंरचना को मजबूत किया जाए, शिक्षकों को उचित प्रशिक्षण दिया जाए, और सभी को समान रूप से ICT संसाधनों तक पहुँच मिल सके। डिजिटल युग में शिक्षा को प्रभावशाली और समावेशी बनाने में ICT की भूमिका केंद्रीय होती जा रही है।

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